बॉलीवुड डेस्क. ‘दंगल’ फेम फातिमा सना शेख इन दिनों आम लोगों और बाकी सेलेब्रिटीज की तरह घर पर ही रहकर सोशल डिस्टेंसिंग बरत रही हैं। दैनिक भास्कर के साथ बातचीत के दौरान उन्होंने लोगों से भी एहतियात बरतने की अपील की है। इस दौरान उन्होंने अपने करिअर के बारे में भी बात की। उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश इस तरह हैं...
सवाल- कोरोना वायरस के इस माहौल में आप किस तरह से एहतियात बरत रही हैं?
जवाब-'मैं भी बाकी लोगों की तरह घर पर ही हूं। कोशिश कर रही हूं कि सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखूं। दरअसल, हमारे देश की आबादी भी इतनी है कि अगर किसी भी एक घर में वायरस फैला तो वो बहुत ज्यादा तेजी से फैलेगा। सरकार ने बोला है कि घर पर ही रहिए तो मैं आपसे भी अपील करूंगी कि बाहर न जाएं। हाथ धोते रहें ताकि हम इस वायरस को अपने पास आने से रोकें। घर पर बैठकर मैंने अभी 'सीवरेंस' नाम की किताब भी पढ़ी है। इसकी कहानी अमेरिकी चाइनीज मूल के लेखक ने लिखी है। कहानी में बताया है कि कैसे एक वायरस के चलते पूरी दुनिया लगभग खत्म हो चुकी है और सिर्फ 5 लोग बचे हैं जो जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं।'
सवाल- ‘दंगल’ के बाद से फातिमा के पास कितनी फिल्में आ रही हैं?
जवाब- 'अभी डेली बेसिस पर तो पता नहीं पर हां कई सारे प्रोजेक्ट आए हैं। मैं वैसे ज्यादा सोचती नहीं हूं कि मुझे किस के साथ काम करना है या नहीं करना है। खासतौर पर अनुराग बसु जैसे लोग अगर मेरे पास स्क्रिप्ट लेकर आते हैं तो मैं उन्हें मना नहीं कर पाती। मेरा दिल जो भी कहता है वह कर लेती हूं। ज्यादा सोचती नहीं हूं।'
सवाल- आमतौर पर तो शनिचर भारी होता है यह ‘सूरज पर मंगल भारी’ कैसे हो सकता है?
जवाब- 'यह एक फैमिली कॉमेडी ड्रामा फिल्म है। कास्ट बहुत ही अच्छी है। मनोज बाजपेई, सीमा पाहवा, श्रेया पिलगांवकर, अन्नू कपूर सब बेहतरीन एक्टर्स हैं। इन सबके साथ काम करके हंसते-खेलते फिल्म शूट हो गई। इस फिल्म की शूटिंग मुंबई लॉकडाउन के अनाउंसमेंट से ठीक एक दिन पहले हो गई थी।'
सवाल- इतने सारे दिग्गजों के साथ काम करके एक्टिंग को लेकर क्या कुछ सीखने को मिला?
जवाब- 'सब के सब इतने कद्दावर एक्टर हैं कि सेट पर आते ही कैरेक्टर में घुस जाते थे। वे आपके साथ हंस रहे होंगे, बोल रहे होंगे लेकिन जैसे ही एक्शन सुनने को मिलता झट से कैरेक्टर में घुस जाते थे। मनोज सर तो वैसे भी इतने कमाल के एक्टर और इतने प्यारे इंसान है कि मजा ही आ गया उनके साथ काम करके। उनसे उनकी जिंदगी के बारे में सुना और जाना तो पता चला कि इस इंडस्ट्री में सर्वाइव करने के लिए पेशेंस की बहुत जरूरत है।'
सवाल- फिल्म ‘लूडो’ क्या कहना चाहती है?
जवाब- 'इस फिल्म (लूडो) में हम चार कहानियों से बता रहे हैं कि हमारे पास वक्त कम है और इसी वक्त में हमें अपनी मंजिल तक पहुंचना है। कुल मिलाकर कहा जाए तो यह फिल्म आम जिंदगी की कहानी है।'
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