Saturday, September 12, 2020

संजय राउत ने कहा- अक्षय कुमार को करना चाहिए था मुंबई को पाकिस्तान कहने वालों का विरोध, क्या यह शहर सिर्फ पैसा कमाने के लिए है September 12, 2020 at 08:20PM

कंगना के मुंबई को पाकिस्तान बताने वाले कमेंट का विरोध न करने पर शिवसेना नेता संजय राउत ने अब अक्षय कुमार पर निशाना साधा है। उन्होंने पार्टी के मुख्य पत्र सामना में कड़े शब्दों का इस्तेमाल करते हुए सवाल उठाया है कि क्या मुंबई सिर्फ पैसा कमाने के लिए है?

मुंबई के अपमान पर सब गर्दन झुका लेते हैं: राउत

राउत ने लिखा है कि जब कंगना ने मुंबई की तुलना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से की, तब अक्षय कुमार जैसे एक्टर्स को सामने आकर कहना चाहिए था कि कंगना का मत पूरी फिल्म इंडस्ट्री का मत नहीं है। मुंबई ने उन्हें बहुत कुछ दिया है। सभी को दिया है। दुनियाभर के रईसों के घर मुंबई में हैं। लेकिन जब इस शहर को अपमानित किया जाता है तो सभी गर्दन झुकाकर बैठ जाते हैं।

उद्धव ठाकरे के लिए 'तू' कहने पर भी भड़के

बीएमसी द्वारा अपना ऑफिस तोड़े जाने के बाद कंगना रनोट ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर निशाना साधा था। उन्होंने ठाकरे के लिए तू-तड़ाक वाली भाषा का इस्तेमाल किया था। इसे लेकर राउत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है।

उन्होंने लिखा है कि एक नटी (एक्ट्रेस) मुंबई में बैठकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के लिए तू-तड़ाक वाली भाषा बोलती है। लेकिन प्रदेश की जनता कोई रिएक्शन नहीं देती है। ये कैसी एकतरफा आजादी है।

'पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक पर छाती पीटती है'

राउत ने सामना में आगे लिखा है- जब कंगना के अवैध निर्माण पर बुलडोजर चलता है तो वह ड्रामा करने लगती है। इसे राम मंदिर बताने लगती है। उसने अपना यह अवैध निर्माण उसी के द्वारा घोषित पाकिस्तान में किया था।

पहले मुंबई को पाकिस्तान कहती है और जब उसी पाकिस्तान में गैरकानूनी तरीके से हुए निर्माण पर सर्जिकल स्ट्राइक होती है तो छाती पीटने लगती है। आखिर यह कैसा खेल है? पूरी फिल्म इंडस्ट्री को न सही, कम से कम आधी इंडस्ट्री को तो मुंबई के अपमान के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए थी।

घर के भेदी बाहरी लोगों को मजबूत बना रहे

राउत के मुताबिक, मुंबई को बाहरी लोगों का ग्रहण लग गया है। लेकिन ऐसे लोगों को स्ट्रॉन्ग हमेशा की तरह घर के भेदी ही बना रहे हैं। मुंबई को पाकिस्तान कहा गया। फिर जब मुंबई का अपमान करने वाली नटी के अवैध निर्माण पर बीएमसी की कार्रवाई होती है तो वह इसे बाबर कहने लगती है। दुर्भाग्य से यह कहना होगा कि मुंबई को पाकिस्तान और बाबर कहने वालों के पीछे महाराष्ट्र की भारतीय जनता पार्टी खड़ी हुई है।



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संजय राउत ने शिवसेना सामना में लिखा है कि मुंबई ने फिल्म जगत को बहुत कुछ दिया है। कम से कम आधी फिल्म इंडस्ट्री को कंगना के बयान का विरोध करना चाहिए था।

Ranjeeta: Too much toxicity in industry now September 12, 2020 at 08:07PM

Yesteryear actress Ranjeeta made a stunning debut opposite Rishi Kapoor in Laila Majnu in 1976 followed by a golden run of 10/12 years and is now happily watching from the outside. ETimes chatted with Ranjeeta over the telephone.

Ranveer's childhood pic is all things cute September 12, 2020 at 07:49PM

Ranveer Singh, who is one of the most loved actors in Bollywood, has shared an aww-dorable childhood picture of himself on social media today. He took to his Instagram story and shared the picture.

अपनी-अपनी किस्मत, अपनी-अपनी चाहत; कई बार अनुभव की कमी बेहतर निर्णय लेने से रोक देती है September 12, 2020 at 07:15PM

राज कपूर ने कभी कहा था कि हर फिल्म की अपनी नियति होती है जो किसी अंत:करण से प्रेरणा लेती है। हालांकि कभी-कभी फिल्म बनाने वाला अतिउत्साह में अपने अंत:करण को किनारे पर रखकर कोई और राह पकड़ लेता है। इस प्रक्रिया में वह खुद अपनी नियति का निर्धारक बन जाता है। कभी वह नियति बना लेता है तो कभी बिगाड़ लेता है।

कश्मीर में ‘कभी-कभी’ फिल्म की शूटिंग के दौरान यश चोपड़ा ने अपने प्रथम सहायक रमेश तलवार को निर्देशक के तौर पर लॉन्च करने की सोची और उनसे अपनी पहली फिल्म की योजना बनाने को कहा। तलवार ने अपने किसी खास मित्र द्वारा सुनाई गई एक कहानी को फिल्म का विषय बनाने का निर्णय ले लिया। यह कहानी एक ऐसी ‘दूसरी महिला’ की थी जो अनजाने में ही एक युवा जोड़े की प्रेम कहानी के बीच में आ जाती है। वह महिला उस युवा पुरुष की तरफ इसलिए आकर्षित होती है क्योंकि उसमें उसके प्रेमी जैसी ही कई समानताएं नजर आती हैं जिसकी कार हादसे में मृत्यु हो चुकी होती है।

‘दूसरा आदमी’ जो सितंबर 1977 में रिलीज हुई थी, में दिल का दर्द भी है तो दिलों के टूटने की कहानी भी। फिल्म में ऋषि कपूर और नीतू सिंह की शादी हुई ही होती है कि वह ‘दूसरी महिला’ उनकी जिंदगी में आ जाती है।

शर्मिला को लेना चाहते थे रमेश तलवार

इस दूसरी महिला की भूमिका में तलवार, शर्मिला टैगोर को लेना चाहते थे। लेकिन जैसे ही राखी को इस रोल के बारे में पता चला, उन्होंने खुद को ही इस तरह से प्रस्तुत कर दिया कि निर्देशक तलवार उनसे प्रभावित हुए बगैर नहीं रहे। इस तरह फिल्म में राखी की एंट्री हुई। शशि कपूर को गेस्ट अपीयरेंस के लिए तैयार किया गया क्योंकि अपने भतीजे ऋषि कपूर के साथ समानता दिखाने के लिए उनके जैसे ही किसी अभिनेता की जरूरत थी।

फिल्म में कई मुद्दों को उठाया गया था

‘दूसरा आदमी’ मूवी ने कई सामाजिक और मनोवैज्ञानिक मुद्दों जैसे शादी, विवाहेत्तर संबंधों, वर्किंग वूमन, सिंगल वूमन, प्रोफेशनल एटीकेट्स, मानसिक स्वास्थ्य के कई मसलों जैसे उपेक्षा, अवसाद, अकेलापन आदि को स्पर्श किया। फिल्म की तारीफ तो खूब हुई, लेकिन बॉक्स ऑफिस पर कोई विशेष कमाल नहीं दिखा पाई।

इसकी एक वजह तो फिल्म का बोल्ड विषय था। दूसरी वजह यह थी कि दर्शकों ने राखी को घर तोड़ने वाली महिला की भूमिका में स्वीकार नहीं किया जो एक साल पहले आई ‘तपस्या’ में ममतामयी मां के तौर पर खूब सराही गई थी। और यहीं मुझे राज कपूर का ‘अंत:करण का सिद्धांत’ याद आता है।

अगर रमेश तलवार, राखी की जगह शर्मिला टैगोर को रख लेते तो क्या नतीजा कुछ और निकलता? इसका जवाब संभवत: हां भी हो सकता है और ना भी, लेकिन अगर निर्देशक फिल्म का क्लाइमैक्स बदलने की निर्माता की सलाह पर ध्यान देते तो परिणाम निश्चित तौर पर अलग ही होता।

भावना सोमाया, जानी-मानी फिल्म लेखिका, समीक्षक और इतिहासकार

अनुभव की कमी बेहतर निर्णय पर भारी पड़ती है

कई बार अनुभव की कमी बेहतर निर्णय लेने से रोक देती है, जैसा कि इस फिल्म के साथ हुआ। लेकिन कई बार अनुभवहीनता भी बाधाओं को पार करने से नहीं रोकती, जैसा कि आयुष्मान खुराना का उदाहरण हमारे सामने है जिनका इसी 14 सितंबर को जन्मदिवस है। उनका करियर परीकथा जैसा प्रतीत होता है।

टेलीविजन शो ‘रोडीज’ में एंकर के तौर पर सामने आए तो गायकी की प्रतिभा के दम पर उन्हें ‘विक्की डोनर’ फिल्म में काम करने का मौका मिला। इसके बाद तो उनके खाते में एक के बाद एक ऐसी कई फिल्में जमा होती चली गईं जिन्होंने उन्हें आज के जमाने के ‘कॉमन मैन’ के तौर पर प्रतिष्ठित कर दिया।

बदल गया मध्यमवर्गीय समाज का चेहरा

70 के दशक के सिनेमा के मध्यमवर्गीय चेहरे अमोल पालेकर के विपरीत आयुष्मान का ‘आम आदमी’ जटिल है और अक्सर अप्रासंगिक भी। उनके चरित्रों में असुरक्षा की भावना व्याप्त है। इसलिए ‘दम लगा के हईशा’ में टूटे हुए आत्मसम्मान, ‘बरेली की बर्फी’ में बिखरे हुए आत्मविश्वास, ‘शुभ मंगल सावधान’ में नपुंसकता की भावना के साथ फ्रस्टेटेड नजर आते हैं, तो ‘बधाई हो’ में भ्रमित, ‘बाला’ में अलग-थलग और ‘गुलाबो सिताबो’ में गुस्सैल के तौर पर।

क्या आयुष्मान यह बात अच्छी तरह जानते थे कि उनके चरित्रों का दर्शकों पर क्या असर पड़ेगा? मुझे नहीं लगता क्योंकि किसी अभिनेता के एक छवि में ढलने तक वह अपनी सफलता के सफर का आधा रास्ता पार कर चुका होता है। अगर आयुष्मान अपनी रचनात्मक पसंदों और उनके असर के बारे में पहले से ही सोच-विचार कर लेते तो शायद वे भयभीत ही ज्यादा होते। आयुष्मान इतना सबकुछ इसलिए कर पाए क्योंकि वे बहाव के साथ खुद को बहा पाने में सफल हुए।



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Talking Point with Bhawna Somaaya : Sometimes lack of experience prevents better decision making, Their own luck, their own desire

Throwback pics of SSR, Akansha go viral September 12, 2020 at 07:00PM

Sushant Singh Rajput and Alia Bhatt’s BFF Akansha Ranjan Kapoor’s throwback pictures are doing the rounds on the internet amid his death’s investigation.

Ankita joins #PlantsForSSR along with her pet September 12, 2020 at 06:23PM

Actress Ankita Lokhande has participated in #PlantsForSSR, an initiative started by Sushant Singh Rajput’s sister Shweta Singh Kirti. Ankita posted a few pictures along with her furry friend Hatchi on social media.

Akshay thanks fans for b'day wishes & love September 12, 2020 at 05:24PM

Akshay Kumar, who is currently in London, celebrated his 53rd birthday with his family and the team of ‘Bell Bottom’ recently. Yesterday, the Khiladi Kumar shared a video on social media and thanked his fans for the love and support.

5 times Shahid expressed his love for Mira September 12, 2020 at 05:00PM

Priyanka shares a loved up pic with Nick September 12, 2020 at 04:56PM

Recently, Priyanka Chopra Jonas took to her Instagram and shared a loved up picture with Nick Jonas and it is simply unmissable! In her caption, she mentioned how grateful she is to have him in her life.

Chunky: Wore burkha to watch an adult film September 12, 2020 at 04:30PM

He’s been a name that’s synonymous with 90s cinema. Chunky Panday has carved a niche for himself over the years with his versatility from playing the comedian in the ‘Housefull’ series to serious characters in movies like Saaho and Prassthanam. Chunky’s daughter Ananya Panday is now a Bollywood actress. In an exclusive chat with ETimes the actor spoke about parenting his kid and making her Bollywood ready, how he’s tackled the lockdown, and much more. Here are excerpts from the conversation.

एनसीबी अधिकारी का दावा- रिया के खिलाफ ठोस सबूत और केस मजबूत, उन्हें 20 साल की जेल हो सकती है September 12, 2020 at 02:30PM

सुशांत सिंह राजपूत डेथ केस से जुड़े ड्रग्स मामले में रिया चक्रवर्ती को 20 साल तक की सजा हो सकती है। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के एक अधिकारी ने दैनिक भास्कर को ऑफ द रिकॉर्ड दिए इंटरव्यू में यह बताया। अधिकारी के मुताबिक, उनके पास रिया के खिलाफ ठोस सबूत हैं और केस काफी स्ट्रॉन्ग बन चुका है। यही वजह है कि लोअर और सेशन कोर्ट से रिया को जमानत नहीं मिल सकी। उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश :-

Q. रिया और शोविक ने बॉलीवुड के किन नामों का खुलासा किया है?
A. अभी उन नामों को रिवील नहीं कर सकते। क्योंकि जांच जारी है। पहले इसे किसी निष्कर्ष पर पहुंच जाने दीजिए। अभी उनका नाम उजागर करना उनकी अवमानना होगी।

Q. ड्रग्स की कितनी क्वांटिटी रिया ने कैरी की थी?
A. यह सिर्फ 59 ग्राम ड्रग्स की बात नहीं है, जिसके बारे में रिया ने बताया है। हमारी टीम ने अनुज केसवानी से कमर्शियल क्वांटिटी में ड्रग्स बरामद की है। हम इस लीड पर आगे बढ़ रहे हैं। हमारा केस मजबूत है। यही वजह है कि माननीय लोअर और सेशन कोर्ट से उनकी जमानत याचिका खारिज हुई है।

Q. पूरे मामले में रिया का डायरेक्ट इन्वॉल्वमेंट तो कहा ही जा सकता है?
A. इन्वॉल्वमेंट साजिश को लेकर है। चार्जेज उसी तौर पर लगे हैं। उससे रिलेटेड ऑर्डर भी सार्वजनिक हैं।

Q. लेकिन रिया बार-बार दावे कर रही हैं कि वो ड्रग्स नहीं लेती थीं। वे तो इसे सुशांत के कहने पर मंगवा रही थीं?
A. मैटर विचाराधीन है। इसलिए इस मसले पर कुछ भी कहना अभी सही नहीं होगा।

Q. सुशांत तो अब रहे नहीं, तो कैसे साबित करेंगे कि उन्‍होंने ड्रग्स कंज्यूम किया था?
A. यह साबित हो जाएगा। उसकी चिंता मत करें। वही तो हमारा जॉब है। तभी तो जांच प्रक्रिया पर हम कुछ भी नहीं कहना चाहते।

Q. क्‍या ड्रग्स मामले में कंगना का भी टेस्‍ट होगा?
A. वो हमें नहीं मालूम। हमारा फोकस इस केस (सीआर नं. 15) पर है। कंगना के बारे में हम कुछ नहीं कह सकते, क्‍योंकि उनका मामला हमारे केस से कनेक्टेड ही नहीं है।

Q. बीते सालों में आपके जो ऑपरेशन्स रहे हैं, उनमें बॉलीवुड से कौन से ए-लिस्‍टर्स के नाम आए थे? बड़ी मछलियों की धड़पकड़ हो पाएगी?
A. यह गलत हो रहा है कि सिर्फ एक सोसायटी का नाम लिया जा रहा है। हमारा मैंडेट इस सोशल प्रॉब्लम को ठीक करना है। महज एक सोसायटी के पीछे पड़ना नहीं। मुंबई में यह बुरी तरह फैला हुआ है। यह एक केस है, जिसे एनडीपीएस एक्ट के तहत सजा के दायरे में लाना है। हम सिर्फ कुछ लोगों को पकड़ने के पीछे नहीं लगे हैं। हम हर किसी को टार्गेट कर रहे हैं।

Q. क्‍या यह स्टेब्लिश हो चुका है कि रिया और शोविक ड्रग पैडलर्स के सतत संपर्क में थे?
A. इस वक्‍त क्‍या बोलूं। मैटर कोर्ट में है। सारे सबूत हमें कोर्ट में देने हैं। इसलिए जांच से जुड़ी कोई बात रिवील करना सही नहीं है।

Q. कोर्ट में सबूत कब प्रोड्यूस करेंगे?
A. अभी तो उनकी बेल रिजेक्ट हुई है। फिलहाल ट्रायल चलेगा। चार्जशीट फाइल करने के लिए एनसीबी के पास 180 दिनों का वक्‍त है। चूंकि कमर्शियल क्वांटिटी का मामला है। लिहाजा हम अपनी इनवेस्टीगेशन पूरी करेंगे। तब सबूत पेश करेंगे।

Q. लेमैन लैंग्वेज में कमर्शियल यूज को कैसे समझाएं?
A. एक होती है स्मॉल क्वांटिटी, दूसरी मिडिल और तीसरी कमर्शियल क्‍वांटिटी। कमर्शियल क्‍वांटिटी अगर साबित हो गई तो 20 साल की सजा हो सकती है। मिडिल क्वांटिटी है तो 10 और स्मॉल का मामला है तो 1 साल की सजा।

Q. रिया के मामले में बड़ी क्वांटिटी है?
A. जी हां। इसी केस में हमारे द्वारा गिरफ्तार किए गए उनके सप्लायर से हमें बड़ी क्वांटिटी मिली है।

Q. यह सप्लाई सुशांत की मौत तक होती रही है?
A. जिस पैडलर को हमने पकड़ा है, वह तो मेजर सप्लायर है ही। हम यह लिंक नहीं कर रहे है कि सप्लाई कब तक होती रही? हमने तो एक गैंग को बर्स्‍ट किया है।

Q. लेकिन रिया तो कुछ भी एक्सेप्ट नहीं कर रही हैं?
A. इस बारे में मैं कुछ नहीं बोल सकता। ऐसा करना कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट है।

Q. हालांकि शोविक ने तो बहुत जल्दी मान लिया था कि वो ड्रग्स लाया करते थे?
A. सच कहूं तो मीडिया में 90 फीसदी जानकारी गलत आ रही है। नामों को लेकर सिर्फ कयास लगाए जा रहे हैं। हमें हमारा काम करने दीजिए। चार्जशीट के टाइम पर सारे नाम सामने आ जाएंगे। अभी किसी का नाम लेने से जांच प्रभावित होगी।

Q. अगर लोकल पुलिस ने प्राइमरी लेवल पर ही सबूत टैंपर कर दिए हों तो जांच एजेंसियां गुनहगारों को कैसे पकड़ पाएंगी? सबूत टैंपर होने के चलते न तो आरुषि के हत्यारों का पता चल सका, न सुनंदा पुष्कर के?
A. हमें ऐसी कोई दिक्कत नहीं हुई। हमारा केस बहुत स्ट्रॉन्ग बन चुका है। हम साबित कर देंगे।

Q. क्‍या ड्रग्स की ज्यादा मात्रा लेने से मौत होती है?
A. इस पर मैं कुछ नहीं कह सकता। यह कहना बहुत जेनेरिक होगा। हरएक का इलाज अलग होता है। हर किसी के लक्षण भी अलग होते हैं।

Q. मारिजुआना तो बड़ा क्राइम नहीं है न?
A. हम हर तरह के ड्रग्स को समान भाव से देख रहे हैं। कमर्शियल क्वांटिटी के थ्रेशहोल्ड अलग-अलग होते हैं।

Q. पांच या दस साल पहले भी क्या कभी इस तरह के केसेज में बॉलीवुड से किसी का नाम आया था?
A. वह मैं अभी नहीं बोल सकता। यह जांच का विषय है।



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रिया चक्रवर्ती को एनसीबी ने 9 सितंबर को अरेस्ट किया था। फिलहाल, वे भायखला जेल में बंद हैं।

एक्सपर्ट बोले- बिहारी वोटर्स में कंगना रनोट को लेकर क्यूरोसिटी नहीं, भाजपा बोली- हम मंच नहीं देंगे September 12, 2020 at 02:25PM

सुशांत सिंह राजपूत के लिए न्याय की मांग कर रहीं कंगना रनोट लगातार मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र सरकार के निशाने पर हैं। इस बीच ऐसी खबरें हैं कि बिहार चुनाव के मद्देनजर वहां होने वाली वर्चुअल रैलियों में कंगना को लाया जा सकता है। हालांकि, बिहार के पत्रकार, साहित्यकार और खुद बीजेपी के नेताओं का मानना है कि कंगना को चुनाव प्रचार में उतारने से कोई फायदा नहीं होगा। उन्होंने इसके पीछे की वजह दैनिक भास्कर के साथ साझा की।

बिहार में जातिगत समीकरण आज भी हावी

राष्‍ट्रीय पुरस्कार से सम्‍मानित फिल्‍म समीक्षक और साहित्यकार विनोद अनुपम वोटर्स की सोच को डिकोड करते हैं। वे कहते हैं, "सुशांत सिंह राजपूत के लिए कंगना रनोट की लड़ाई और भाजपा के साथ बढ़ते उनके संबंध देख बिहार के चुनाव में उनकी सक्रियता की उम्मीद जरूर बढ़ गई है। लेकिन ऐसा नहीं कहा जा सकता कि बिहार के वोटर्स में इसे लेकर क्यूरोसिटी है। बल्कि यह कहना भी मुश्किल है कि सुशांत की मौत भी चुनावी मुद्दा रहेगी।"

कंगना सिर्फ जाति विशेष तक सीमित

अनुपम ने आगे कहा, "बिहार में हमेशा से ही चुनाव अलग धरातल, अलग मुद्दे पर होते रहे हैं। यहां सुनी सबकी जाती है, लेकिन अंतिम ध्रुवीकरण में जाति की भूमिका प्रबल हो जाती है। ऐसे में कंगना एक जाति विशेष को एकजुट करने के लिए भले बुलाई जा सकती हैं। लेकिन इस बात से सहमत नहीं हुआ जा सकता कि उनकी कोई बड़ी भूमिका होगी।"

सितारों के आने से कोई फर्क नहीं पड़ता

बकौल अनुपम, "बिहार के चुनाव में पहले भी सितारे आते रहे हैं। अजय देवगन से लेकर नगमा तक। लेकिन लोगों ने उन्हें बिल्कुल भी तवज्जो नहीं दी। 2015 के चुनावी प्रचार में अजय देवगन आए और चले गए। अगले दिन अखबारों में कायदे से खबर तक नहीं लग सकी थी। चर्चा में भी आए तो भगदड़ के चलते। बिहार भाजपा के नेताओं ने भी तव्वजो नहीं दी थी।"

अनुपम आगे कहते हैं, "बिहारी राजनेताओं के मुंह से मिमिक्री मंजूर करते हैं, लेकिन अभिनेताओं की परफॉरमेंस को वे भाव नहीं देते। प्रकाश झा तो विशेष राज्‍य की मांग को लेकर धरने पर भी बैठे थे, लेकिन उन्‍हें पार्टी से तव्वजो नहीं मिली थी।"

मिडिल क्‍लास आज भी निर्णायक नहीं

अनुपम के मुताबिक, "बिहार में मिडिल क्लास अभी भी चुनाव में निर्णायक नहीं है, जिन्हें कंगना या सुशांत से मतलब है। यहां निर्णायक जरूरतमंद वोटर हैं ,जिनका पहला सवाल होता है मिलेगा क्या? वैसे भी इस बार बिहार में चुनाव को लेकर वोटर्स में अजीब सी निरपेक्षता देखी जा रही है।

राजनीतिक दलों के लिए चुनाव बाध्यता है और वोटर्स को लग रहा वे निरर्थक ही खतरे में धकेले जा रहे हैं। ऐसे में दलों का सारा जोर बूथ प्रबंधन पर है। एक बात यह भी कि जब सारी रैलियां वर्चुअल हो रही हैं और कंगना पहले से ही हर दिन वर्चुअल दिखाई दे ही रही हैं। ऐसे में बिहार के वोटर्स उनकी प्रतीक्षा क्यों करेंगे?

पॉलिटिकल वैल्यू बनी रहना बड़ी बात

जाने-माने पत्रकार पुष्य मित्र भी विनोद अनुपम से इत्तफाक रखते हैं। वे कहते हैं, "टीवी मीडिया में छाए रहने से कंगना की पॉलिटिकल वैल्यू जरूर काफी बढ़ गई है। लेकिन यह दावे के साथ नहीं कहा जा सकता कि यह सब बिहार चुनाव के प्रचार अभियान तक बरकरार रहेगा। अमूमन ऐसा देखा गया है कि टीवी मीडिया द्वारा तैयार किए गए स्टार की मियाद बहुत कम रहती है।

ज्यादा खींचा जा चुका सुशांत का मुद्दा

पुष्य मित्र ने आगे कहा, "सुशांत के मुद्दे को उसकी उम्र से ज्यादा खींचा जा चुका है। अब ज्यादातर लोग ऊबने लगे हैं। यह मुद्दा अब जितने दिन खींचा जाएगा, लोगों में बिहार के असली और जमीनी मुद्दों जैसे बाढ़, बेरोजगारी, पलायन, स्वास्थ्य सुविधाएं आदि के प्रति तड़प बढ़ती चली जाएगी। मुमकिन है यह मुद्दा बैक फायर कर जाए। यह बात जरूर है कि गांव-गांव तक यह मुद्दा पहुंच गया है और पॉलिटिकल डिबेट में शामिल हो गया है। लेकिन बिहार में सरकार के प्रति लोगों में नाराजगी है। भाजपा समर्थक भी नाराज हैं। हालांकि, लोगों के सामने दूसरा विकल्प नजर नहीं आ रहा है।"

भाजपा कंगना को मंच प्रदान नहीं करेगी

बिहार भाजपा के प्रदेश महामंत्री देवेश कुमार ने कहा, "कंगना आती हैं तो उनका स्वागत है। यह लोकतंत्र है, लेकिन भाजपा उन्हें मंच प्रदान नहीं करेगी। हमारी पार्टी का अपना सिस्टम है। हम उन्‍हें क्‍यों लाएंगे? हमारे प्रधानमंत्री और बड़े नेता हमारे स्‍टार प्रचारक हैं। बिहार की जनता का मूड पीएम मोदी और नीतीश कुमार की अगुवाई वाली सरकार चाहती है।



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एक्सपर्ट का कहना है कि बिहार में मिडिल क्लास अभी भी चुनाव में निर्णायक नहीं है, जिन्हें कंगना या सुशांत से मतलब है।

Malayalam films that dealt with world of drugs September 11, 2020 at 07:40PM

It’s in 2013 that we had the first film that was recognised as one belonging to the stoner genre

Suresh Kumar on drug abuse in Mollywood September 11, 2020 at 07:40PM

Mollywood has got into trouble at various junctures in the recent years in the context of drug use, and even producers have alleged that it’s a tendency here that needs to be seriously looked into.