Saturday, September 5, 2020
Rhea Chakraborty is ready for arrest: Lawyer September 05, 2020 at 08:13PM
शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा- उन्होंने मुंबई को मिनी पाकिस्तान कहा है, क्या वे अहमदाबाद को ऐसा कहने की हिम्मत कर सकती हैं September 05, 2020 at 07:48PM
कंगना रनोट के उस बयान पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है, जिसमें उन्होंने मुंबई की तुलना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से की थी। शिवसेना सांसद संजय राउत इसे लेकर लगातार एक्ट्रेस पर हमलावर हैं। शनिवार को एक बयान में उन्होंने कंगना के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल किया था, जिसका विरोध हो रहा है और उनसे एक्ट्रेस से माफी मांगने की मांग की जा रही है। हालांकि, राउत चाहते हैं कि पहले लंगना अपने बयान के लिए माफी मांगें।
एक स्टेटमेंट में राउत ने कहा, "अगर यह लड़की (कंगना) महाराष्ट्र से माफी मांगती है। तब मैं इस बारे में सोच सकता हूं। उसने मुंबई को मिनी पाकिस्तान कहा। क्या उसमें अहमदाबाद के बारे में ऐसा कहने की हिम्मत है?"
राउत ने कंगना को लेकर क्या कहा था?
दरअसल, एक न्यूज चैनल ने कंगना के उस बयान पर राउत का रिएक्शन मांगा था, जिसमें उन्होंने 9 सितंबर को मुंबई आने की बात कही थी और चुनौती दी थी कि रोक सको तो रोक लो। जवाब में राउत ने कहा था, "महाराष्ट्र सिर्फ शिवसेना की जागीर नहीं है। सब पार्टी उसमें हैं। हम सब मिलकर तय करेंगे।"
जब उनसे पूछा गया कि क्या वे कोई कानूनी कदम उठाएंगे? तो राउत ने कहा, "क्या होता है कानून? उस लड़की ने जो किया, वह कानून का सम्मान है क्या? आप क्या उस हरामखोर लड़की की वकालत कर रहे हो?"
इसके बाद से संजय राउत को ट्विटर पर लगातार ट्रोल किया जा रहा है। पत्रकारों से लेकर अभिनेता और राजनेता तक राउत से कंगना से माफी मांगने की मांग कर रहे हैं। एक्ट्रेस दिया मिर्जा ने इसे लेकर लिखा है, "संजय राउत द्वारा इस्तेमाल किए गए हरामखोर शब्द की कड़ी निंदा करती हूं। सर, कंगना ने जो कहा, उसके लिए आपको अपनी असहमति जताने का अधिकार है। लेकिन इस तरह की भाषा के इस्तेमाल के लिए आपको माफी मांगनी चाहिए।"
##कंगना ने बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी थी
राउत के बयान पर कंगना रनोट ने कड़ा ऐतराज जताया था। उन्होंने ट्विटर पर लिखा था, "2008 में मूवी माफिया ने मुझे साइको घोषित कर दिया था। इतना ही नहीं 2016 में उन्होंने मुझे चुड़ैल कहा और 2020 में महाराष्ट्र के मंत्री ने मुझे हरामखोर लड़की कहा था। इन सभी लोगों ने मेरे साथ ऐसा इसलिए किया। क्योंकि मैंने कहा कि सुशांत की हत्या के बाद मैं मुंबई में असुरक्षित महसूस करती हूं। अब इनटॉलेरेंस पर बहस करने वाले योद्धा कहां हैं?"
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बचपन की याद दिलाती है 'अटकन-चटकन', उम्मीद जगाने वाली इस फिल्म को बच्चों से लगाव रखने वाले और म्यूजिक प्रेमी देख सकते हैं September 05, 2020 at 07:42PM
फिल्म- 'अटकन चटकन'
राइटर-डायरेक्टर- सौम्य शिवहरे
म्यूजिक डायरेक्टर- शिवमणि
कलाकार- लिडियन नदस्वरम, यश राणे, सचिन चौधरी, तमन्ना दीपक, आयशा विंधारा आदि।
कहां देखें- ZEE5
स्टार- 3.5/5
हमारे यहां बच्चों पर बहुत कम फिल्म या धारावाहिक बनाए जाते हैं, क्योंकि इससे निर्माता को अच्छी कमाई नहीं होती। काफी समय बाद बच्चों पर एक फिल्म आई है- 'अटकन चटकन'। इसके प्रेजेंटर ए.आर. रहमान हैं, जबकि राइटर-डायरेक्टर सौम्य शिवहरे और म्यूजिक डायरेक्टर शिवमणि हैं। यह फिल्म चार ऐसे दोस्तों- गुड्डू (लिडियन नदस्वरम), माधव (यश राणे), छुट्टन (सचिन चौधरी), मीठी (तमन्ना दीपक) की कहानी है, जो अपने शौक और सपने को पूरा करना चाहते हैं। अहम रोल में गुड्डू की बहन लता (आयशा विंधारा) भी है।
कहानी के मुताबिक गुड्डू चाय की स्टॉल पर काम करता है। उसे हर चीज में रिदम सुनाई देती है। एक दिन जब वो यंग आर्केस्ट्रा कंपनी में चाय देने जाता है तो वहां लोगों को वाद्य यंत्र बजाते देखकर प्रभावित होता है। इसके बाद वो उन लोगों से गुजारिश करता है कि वे उसे अपने साथ काम पर रख लें।
वहां के लोग नौकरी देने के लिए कहते हैं, लेकिन अगले दिन जब गुड्डू जाता है तो उसे काम पर नहीं रखते। इधर चाय स्टॉल पर काम छोड़़ने की वजह से नौकरी के लिए दर-दर भटकते गुड्डू को भंगार की दुकान पर काम मिल जाता है। गांव से शहर नौकरी पर आते-जाते गुड्डू की मुलाकात छुट्टन और मीठी से होती है, जो बस में गा-बजाकर पैसे मांगते हैं।
एक दिन छुट्टन और मीठी भंगार की दुकान से बर्तन चुराते हैं, तब गुड्डू पर शक होने की वजह से उसे नौकरी से निकाल दिया जाता है। जब उन्हीं बर्तनों को बजाते हुए छुट्टन और मीठी को गुड्डू देखता है, तो उनसे झगड़ बैठता है। इनके बीच-बचाव में माधव आता है और चारों में गहरी दोस्ती हो जाती हैं। चारों मिलकर एक बैंड बनाते हैं, जिसमें टूटे-फूटे सामान को जोड़कर बजाते हैं।
एक दिन इनके बैंड पर प्रिंसिपल की नजर पड़ती है, तब अपने स्कूल की तरफ से संगीत प्रतिस्पर्धा में भाग लेने के लिए इनकी तैयारी करवाता है। इसके आगे किस तरह कहानी में ड्रामेटिक मोड़ आता है, इसका मजा फिल्म देखने के बाद ही आएगा।
फिल्म के गानों की बात करें तो टाइटल सॉन्ग 'अटकन चटकन...' मार्मिक होने के साथ-साथ कहानी को भी आगे बढ़ाता है। 'दाता शक्ति दे...' गाना काफी इमोशनल है। दिलचस्प बात यह है कि फिल्म के गाने अमिताभ बच्चन, सोनू निगम, हरिहरन, रूना शिवमणि और उथारा उन्नीकृष्णन जैसे दिग्गजों ने गाए हैं।
एक गाने के बीच में अमिताभ बच्चन की चिर-परिचित आवाज सुनकर एक बार तो चौंक जाएंगे, लेकिन अगले ही पल सुखद अनुभव होता है। लोकेशन की बात की जाए तो जमुनिया गांव हो, कब्रिस्तान हो या रेलवे यार्ड का डिब्बा, सब कुछ बड़े नेचुरल तरीके से फिल्माया गया है। हां, फिल्म के क्लाइमैक्स में थोड़ा बिखराव जरूर नजर आया, जो कहानी से कम तालमेल खाता है। अगर एंड इमोशनल होता तो दिल पर और गहरी छाप छोड़ जाता।
क्यों देखें- जीवन में आशा जगाने वाली इस फिल्म को बच्चों से लगाव रखने वाले और म्यूजिक प्रेमी देख सकते हैं।
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कोरोनाकाल में फिल्म जगत का न्यू नॉर्मल, स्टार कांट्रैक्ट्स में अब नशीले पदार्थों से संबंधित कोई शर्त भी आ सकती है September 05, 2020 at 06:49PM
यशराज फिल्म्स के कॉरपोरेट बनने और अंधेरी के हाई-टेक ऑफिस में शिफ्ट होने से पहले यश चोपड़ा अपेक्षाकृत एक छोटे ऑफिस से ही अपना पूरा कामकाज देखते थे। जुहू में स्थित यह आज भी एक बंगले में रूप में मौजूद है। इसके ग्राउंड फ्लोर पर एक छोटी-सी लॉबी थी और एक लिफ्ट भी जो सीधे पहली मंजिल पर पहुंचती थी। इस पहली मंजिल के करीब-करीब आधे भाग में यश चोपड़ा का अपना ऑफिस था। बाकी आधे हिस्से में उनके एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ के लिए छोटे-छोटे कैबिन बने हुए थे।
मेरी अक्सर यशजी से मुलाकातें होती रहीं। वे मुझे अपने संघर्ष के दिनों, निर्देशक के तौर पर अपनी पहली फिल्म, पहले प्रीमियर और परेल में वी. शांताराम के राजकमल स्टूडियो में अपने कामचलाऊ, लेकिन पूरी तरह से पहले स्वतंत्र ऑफिस की कहानियां सुनाते। वे बताते कि पुराने दिनों में कैसे फिल्में एक पारिवारिक माहौल में बनाई जाती थीं। जो एक्टर्स उनके साथ काम करना चाहते, उन्हें कास्ट कर लेते, उनकी तारीखें देख लेते और एक मुहूर्त निकाल लेते। एक साल के भीतर ही फिल्म बनकर तैयार हो जाती। लिखित में कोई कांट्रैक्ट नहीं होता, फिर भी सभी ने जो कमिट कर दिया तो कर दिया। वैसे ही काम करते। सब विश्वास और संबंधों पर चलता था। किसी को कोई शिकायत नहीं होती।
दशकों के बाद कार्य-संस्कृति में भारी बदलाव आया। बजट भी बहुत बढ़ गए। यशजी मजाक में कहते, पहले जितने पैसे में फिल्म बन जाती थी, अब उतना बजट तो मनीष मल्होत्रा की डिजाइन की हुई कॉस्ट्यूम के लिए रखना पड़ता है। वे बताते, ‘मैं एक्टर के कान में राशि का फिगर फुसफुसा देता और उसी दिन डील हो जाती।’
लेकिन जल्दी ही सभी स्टूडियो और प्रोडक्शन हाउस के लिए कांट्रैक्ट एक जरूरी चीज बन गई। भविष्य में कोई दिक्कत न हो, इसके लिए टॉप लीगल टीमों पर भारी-भरकम राशि खर्च की जाती। लेकिन 2020 में दो ऐसी घटनाएं घटित हुईं जिसने मनोरंजन जगत के इस पूरे धंधे की हकीकत को बदलकर रख दिया। एक, कोरोना की महामारी और दूसरा, सुशांत सिंह राजपूत की अप्राकृतिक मृत्यु।
रोजाना की जिंदगी का ‘न्यू नॉर्मल’ मास्क पहनना, दो गज की दूरी बनाए रखना और बार-बार साबुन से हाथ धोना है, लेकिन फिल्मी दुनिया के लिए ‘न्यू नॉर्मल’ कुछ ‘क्रांतिकारी’ ही तलाशना होगा। अन्य तमाम प्रोफेशन में तो ‘वर्क फ्रॉम होम कल्चर’ को अपनाया जा सकता है, लेकिन फिल्मों के लिए यह संभव ही नहीं है। इसमें कई स्तरों पर कई लोगों की महत्वपूर्ण भूमिकाएं होती हैं, जैसे उदाहरण के तौर पर एक एक्टर को मैकअप आर्टिस्ट भी चाहिए तो कॉस्ट्यूम डिजाइनर भी। कैमरामैन के लिए लाइटमैन जरूरी है। और फिर निर्देशक को कई सहायकों की जरूरत पड़ती है। और सभी को एक-दूसरे के निकट संपर्क में आना ही पड़ता है।
काफी चुनौतियों के बावजूद कुछ फिल्म और टेलीविजन प्रोडक्शन हाउस ने सेट पर थर्मोमीटर्स, सैनेटाइजर्स और डॉक्टर्स की व्यवस्था करके शूटिंग का काम शुरू कर दिया है। हाल ही में सतीश कौशिक ने अपनी एक तस्वीर पोस्ट कर कहा कि हम तैयार हैं। उनकी पूरी टीम पीपीई किट और शील्ड्स में नजर आ रही थी। एक अन्य एक्टर ने ट्वीट कर बताया कि कैसे संवाद लेखक इंटीमेंट के दृश्यों को इस तरह से गढ़ रहे हैं ताकि अभिनेता-अभिनेत्री को एक-दूसरे को छूने की जरूरत ही नहीं पड़े।
सबसे बड़ी चुनौती तो फंड को लेकर आएगी। नतीजतन, आने वाले वक्त में कुछ ही प्रोजेक्ट आएंगे, वह भी अपेक्षाकृत कम बजट और कम क्रू मेंबर्स के साथ। मनोरंजन जगत का यही न्यू नॉर्मल होगा। सभी को कम मानदेय स्वीकार करना पड़ेगा। कोई स्पॉट बॉय नहीं होगा। तकनीकी टीमों को भी कुछ ही सहायकों से काम चलाना पड़ेगा। भारत के बाहर, बल्कि शायद महाराष्ट्र के बाहर भी शूटिंग पर फिलहाल के लिए तो विराम लगाना होगा।
स्टार कांट्रैक्ट्स भी अब और सख्त होंगे। गोपनीयता संबंधी शर्तें तो होंगी ही जिसके तहत एक्टर्स को विषयवस्तु के बारे में चर्चा करने से मना किया जाता है, कुछ और भी शर्तें जोड़ी जा सकेंगी, जैसे शूटिंग वाले स्थान पर अपने मेहमानों को नहीं ला सकेंगे, सेट पर सेल्फी या पिक्चर नहीं ले जाएंगे। कई फिल्ममेकर्स कॉस्मेटिक सर्जरियों पर प्रतिबंध लगाते हैं ताकि उनके हीरो या हीरोइन फिल्म के बीच में अलग नजर ना आने लगे। अब नशीले पदार्थों से संबंधित कोई शर्त भी आ सकती है, जो निस्संदेह सुशांत सिंह राजपूत मामले का ही परिणाम कही जा सकती है।
अगर एकता कपूर अपने एक्टर्स से उनकी जन्मकुंडली मांग सकती हैं, तो फिल्म निर्माताओं के वकीलों की फौज को भी ‘आउट ऑफ बॉक्स’ सोचने का पूरा अधिकार है।
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नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने रिया के घर पहुंचकर समन दिया, पूछताछ के लिए पेश होंगी एक्ट्रेस; ड्रग्स मामले में अब तक 6 गिरफ्तार September 05, 2020 at 05:46PM
सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में रविवार सुबह नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने रिया चक्रवर्ती के घर पहुंचकर उन्हें समन दिया। आज उनसे ड्रग्स मामले में पूछताछ हो सकती है। एनसीबी सुशांत केस में ड्रग्स कनेक्शन की जांच कर रही है। अब तक 6 लोगों सुशांत के हैल्पर दीपेश सावंत, अब्दुल बासित, जैद विलात्रा, शोविक चक्रवर्ती (रिया के भाई), सैमुअल मिरांडा और अब्बास लखानी को गिरफ्तार किया जा चुका है। कैजन इब्राहिम को भी गिरफ्तार किया गया था, लेकिन शनिवार उसे कोर्ट से जमानत मिल गई।
ड्रग्स मामले में दीपेश सरकारी गवाह बनेगा। आज उसके गवाह बनने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। एनसीबी शोविक को रिया के सामने बैठाकर पूछताछ कर सकती है।
शोविक 9 सितंबर तक एनसीबी की रिमांड पर
उधर, कोर्ट ने शोविक को 9 सितंबर तक एनसीबी की रिमांड पर भेज दिया है। सुशांत के हाउस मैनेजर सैमुअल मिरांडा को भी 4 दिन की रिमांड पर भेजा गया है। एनसीबी ने 7 दिन की रिमांड मांगी थी, लेकिन अदालत ने सिर्फ 4 दिन की रिमांड दी।
एनसीबी के डिप्टी डायरेक्टर केपीएस मल्होत्रा ने बताया कि जो कोर्ट में रिमांड पेपर जमा हुआ था, वो सबूत के आधार पर था। केवल बॉलीवुड ही हमारा टारगेट नही है, जो भी ड्रग्स की खरीद-फरोख्त में आएगा, उस पर कार्रवाई करेंगे।
सीबीआई और एम्स की टीमें सुशांत के घर पहुंची थीं
उधर, सीबीआई और एम्स की टीम शनिवार को सुशांत के बांद्रा वाले घर पहुंची थी। यहां डेढ़ घंटे तक वीडियोग्राफी की गई। यहां सुशांत की बहन मीतू सिंह भी मौजूद थीं।
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