सोनू सूद लगातार प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाने के काम में लगे हुए हैं। हाल ही में उन्होंने एक पोस्ट के जरिए बताया कि उन्हें तेजी से लोगों के मैसेज आ रहे हैं। इस नेक कदम के चलते सोनू खुद दिन रात एक कर चुके हैं जिसके चलते वो महज 4 से 5 घंटे ही सो रहे हैं। हाल ही में भास्कर से बातचीत के दौरान सोनू की पत्नी सोनाली ने उनके रूटीन को लेकर कई बातें शेयर की हैं।
इन दिनों जाहिर तौर पर सोनू बहुत बिजी हैं। आम दिनों में भी शूट के चलते बिजी रहते हैं , मगर इस टाइम पर उन्होंने जिस काम का बीड़ा उठाया है, वह बहुत बड़ा है। मैं उन पर बहुत गर्व महसूस करती हूं कि वह यह काम कर पा रहे हैं। मैं लकी समझती हूं कि हमें मौका मिला।
18 घंटे काम कर रहे हैं सोनू
उनका रूटीन बहुत अनुशासित रहा है। सोनू इतना बिजी रहने के बावजूद भी अपने रूटीन को बरकरार रख रहे हैं। वह सुबह जल्दी उठ जाते हैं। मुश्किल से 4 से 5 घंटे ही उनकी नींद होती है। दिन के 18 घंटे काम करते हैं वह।
लगातार आते हैं लोगों के फोन
शुरू में जब उन्होंने यह काम शुरू किया था तो पहल में 350 माइग्रेंट्स को भेजा था तब तो वह अकेले ही सब कुछ संभाल रहे थे। मगर अब दो-तीन लोगों की टीम है। सारा दिन फोन पर बिजी रहते हैं। कॉर्डिनेट कर रहे होते हैं। परमिशन ले रहे होते हैं। बहुत लोगों को फोन करते है। ऐसे माहौल में परमिशन लेना मुश्किल होता है, लेकिन सोनू ने ठान ली थी। वह बहुत ज्यादा बिजी रहते हैं।
मजदूर का दर्द सुनकर किया मदद करने का फैसला
हमने लॉकडाउन की शुरुआत में कई जगहों पर राशन और फूड के स्टॉल लगाए थे। ठाणे इलाके की बस्तियों में भी हम लोग जाते थे। वहां एक दिन राशन बांटते वक्त उन्होंने देखा कि कुछ मजदूर तेज धूप में कहीं जा रहे हैं। तब उन्होंने रोककर पूछा तो पता चला कि वह लोग गांव जा रहे हैं। सोनू ने उन्हें रोकना चाहा, पर प्रवासियों ने कहा कि यहां रुके तो भूखे मर जाएंगे। सोशल मीडिया पर कुछ विजुअल्स हमने देखे। कुछ लोग अपने बूढ़े मां-बाप को गोद में लेकर जा रहे हैं। कईयों के छोटे-छोटे बच्चे हैं। उन तस्वीरों को देखने के बाद सोनू कई रातें सो नहीं पाए। उसके बाद से उन्होंने पैदल के बजाय बसों से माइग्रेंट्स को भेजना शुरू किया।
घर वालों को होती है फिक्र
घर से सोनू निकलते हैं तो टेंशन होती है। उन्हें लगातार हिदायत देती रहती हूं कि अपना फेस टच मत करो, किसी के नजदीक हो तो ध्यान से बातें करो, अपने हाथों को सैनिटाइज करते रहो। वह भी मुझे अश्योर करते रहते हैं कि मैं ध्यान रखूंगा। फिर भी वह बाहर जाते हैं तो मैं चिंतित तो होती हूं। शाम को जब वह लौटते हैं तो घर के एंट्रेंस पर ही सैनिटाइजर वगैरह होते हैं। मैं उन्हें सीधा वॉशरूम में भेजती हूं। नहाने के बाद ही अंदर आते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि वह कुछ भी टच ना कर रहे हो। यह सुनने में अजीब लग रहा हो, लेकिन इस माहौल में डरे रहना भी जरूरी है।
एक्सरसाइज करना छोड़ दिया
उनका रेगुलर रूटीन तो खैर फोन पर रहने, कॉर्डिनेट करने तक सीमित रह गया है। हर लौट के माइग्रेंट्स को भेजने के बाद वह यह सोचते रहते हैं कि और माइग्रेंट्स को कैसे भेजा जाए। मैं उन्हें जब से जानती हूं तब से लेकर अब तक में पहली बार उनका एक्सरसाइज करना बंद हुआ है। पिछले 15-20 दिनों से उन्होंने एक्सरसाइज का भी मुंह नहीं देखा है। वह सोच रहे हैं कि डेढ़ दो घंटा जो उनका एक्सरसाइज में जाएगा, उससे अधिक जरूरी मजदूरों की मदद करना है।
मिलकर बना रहे हैं लिस्ट
इस मुहीम में मैं भी उनकी मदद कर रही हूं। मुझे भी काफी जगहों से कॉल आती रहती हैं। तो मैं भी लिस्ट बनाती रहती हूं। जितने भी मुझे कॉन्टैक्ट्स मिलते हैं या इंफॉर्मेशन मिलती है तो मैं उसकी अलग से लिस्ट बनाकर अपनी टीम को इनफॉर्म करती रहती हूं। हम लोग साथ-साथ लिस्ट बना रहे होते हैं। जितना बड़ा काम है यह कि इसमें जितने भी लोग जुड़ते रहें, उतना कम है।
मदद करके मिल रही है खुशी
दुर्भाग्य से वह मजदूर जिन्होंने हमारे लिए सड़कें बनाईं इमारतें खड़ी की, वह खुद बेघर हैं। खाने को कुछ नहीं है उनके पास। पर मुझे लगता है कि हम आगे बढ़कर इनके लिए कुछ कर पाए। यह एक बहुत बड़ी प्रॉब्लम थी, जिसे एड्रेस करना बहुत जरूरी था। यह ऐसा काम है, जिसमें टाइम वेस्ट नहीं कर सकते। इंतजार नहीं कर सकते। मजदूर कहते हैं कि उनको कोरोना से डर नहीं है उनको भूखे मरने से डर है। खुशी है कि सोनू दिन-रात लगकर कुछ कर पा रहे हैं।
सोनू का काम सराहनीय हैं- सोनाली
सोनू को मैं बरसों से जानती हूं शादी से पहले कुछ साल हमने डेट भी किया था। उनकी एक आदत है, जो शायद लोगों को पता ना हो कि वह जिस काम के पीछे पड़ जाते हैं, उसको अंजाम तक पहुंचाएं बिना नहीं रुकते। मैंने यह क्वालिटी बहुत कम लोगों में देखी है। हर कोई अच्छा काम करना चाहते हैं, लेकिन पहल करके उसको लगातार करना यह कम लोगों में मैंने देखा है। माइग्रेंट वर्कर्स की भो सिचुएशन देखी जाए तो सब लोग सांत्वना दे रहे थे। सब को बुरा लग रहा था। लेकिन आगे बढ़कर ऐसे टाइम पर जब लोग अपने घर से निकलने को डरते हैं सोनू हिम्मत करके आगे बढ़ रहे हैं। यह बहुत ही सराहनीय है।
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