Monday, November 23, 2020
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बॉम्बे हाईकोर्ट में होगी कंगना की याचिका पर सुनवाई, एक्ट्रेस ने बांद्रा में दर्ज एफआईआर रद्द करने की मांग की है November 23, 2020 at 07:45PM
बॉम्बे हाई ने कंगना रनोट की वह याचिका स्वीकार कर ली है, जो उन्होंने सोमवार को उनके खिलाफ बांद्रा पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर के खिलाफ लगाई थी। न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, कोर्ट मंगलवार को इस याचिका पर सुनवाई करेगा। एक्ट्रेस ने बॉम्बे हाईकोर्ट से एफआईआर रद्द करने की अपील की है।
दो धर्मों के बीच नफरत पैदा करने का आरोप
बांद्रा मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत में बॉलीवुड कास्टिंग निर्देशक एवं फिटनेस ट्रेनर मुनव्वर अली सैयद ने एक याचिका दायर की थी। सैयद ने कंगना के कुछ ट्वीट का हवाला देते हुए याचिका में कहा था, "कंगना पिछले कुछ महीनों से लगातार बॉलीवुड को नेपोटिज्म और फेवरेटिज्म का हब बताकर इसका अपमान कर रही हैं। अपने ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर और टीवी इंटरव्यू के जरिए वे हिंदू और मुस्लिम कलाकारों के बीच फूट डाल रही हैं।"
17 अक्टूबर को स्थानीय अदालत के आदेश पर कंगना के खिलाफ मुंबई के बांद्रा पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई थी। दोनों बहनों के खिलाफ एक विशेष समुदाय के लिए आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल करने और एक विशेष समुदाय से जुड़े लोगों को भड़काने का आरोप है।
तीन बार समन भेज चुकी मुंबई पुलिस
कंगना रनोट और रंगोली चंदेल को मुंबई पुलिस अब तक तीन बार समन भेज चुकी है। लेकिन वे एक बार भी पेशी के लिए हाजिर नहीं हुईं। सबसे पहले दोनों को 26 अक्टूबर को समन भेजा गया, फिर 3 नवंबर को मुंबई पुलिस ने उन्हें पेश होने के लिए कहा। लेकिन दोनों ही बार वे अपने भाई की शादी का हवाला देकर हाजिर नहीं हुईं।
18 नवंबर को कंगना और उनकी बहन रंगोली चंदेल को तीसरी बार समन भेजा गया था। इस समन में कंगना को 23 नवंबर और उनकी बहन रंगोली चंदेल को 24 नवंबर को पेश होना था। लेकिन कंगना ने पुलिस के सामने पेश होने की बजाय बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
कंगना के खिलाफ इन धाराओं में केस दर्ज
बांद्रा के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट जयदेव वाय घुले ने कंगना के खिलाफ CRPC की धारा 156 (3) के तहत FIR दर्ज कर जांच के आदेश दिए थे। इस पर एक्शन लेते हुए पुलिस ने कंगना और उनकी बहन के खिलाफ कई धाराओं में केस दर्ज किया था।
- धारा 153 A: आईपीसी की धारा 153 (ए) उन लोगों पर लगाई जाती है, जो धर्म, भाषा, नस्ल वगैरह के आधार पर लोगों में नफरत फैलाने की कोशिश करते हैं। इसके तहत 3 साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
- धारा 295 A: इसके अंतर्गत वह कृत्य अपराध माने जाते हैं जहां कोई आरोपी व्यक्ति, भारत के नागरिकों के किसी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के विमर्शित और विद्वेषपूर्ण आशय से उस वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करता है या ऐसा करने का प्रयत्न करता है।
- धारा 124 A: यदि कोई भी व्यक्ति भारत की सरकार के विरोध में सार्वजनिक रूप से ऐसी किसी गतिविधि को अंजाम देता है जिससे देश के सामने सुरक्षा का संकट पैदा हो सकता है तो उसे उम्रकैद तक की सजा दी जा सकती है। इन गतिविधियों का समर्थन करने या प्रचार-प्रसार करने पर भी किसी को देशद्रोह का आरोपी मान लिया जाएगा।
- धारा 34: भारतीय दंड संहिता की धारा 34 के अनुसार, जब एक आपराधिक कृत्य सभी व्यक्तियों ने सामान्य इरादे से किया हो, तो प्रत्येक व्यक्ति ऐसे कार्य के लिए जिम्मेदार होता है जैसे कि अपराध उसके अकेले के द्वारा ही किया गया हो।
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