इस साल ईद के मौके पर भले ही सिनेमाघर में कोई फिल्म रिलीज नहीं हो रही है, लेकिन नवाजुद्दीन सिद्दीकी, रागिनी खन्ना, अनुराग कश्यप, इला अरुण, रघुवीर यादव स्टारर फिल्म 'घूमकेतु' ईद से पहले ही 22 मई को जी5 पर रिलीज हुई है। इस फिल्म में अमिताभ बच्चन, सोनाक्षी सिन्हा, रणवीर सिंह, चित्रांगदा सिंह आदि फेमस स्टार्स कैमियो अपीयरेंस में नजर आएंगे। ऐसे में हाल ही में भास्कर से बातचीत के दौरान नवाजुद्दीन ने करियर और फिल्म से जुड़ी कई बातें शेयर की हैं।
कैसा रहा है करियर स्ट्रगल?
मैं छोटे-से गांव से मुंबई आया था। यहां आकर मुझे लगता था कि जो लोग हैं वो बहुत टू द प्वाइंट हैं। उनके साथ एडजस्ट करने में बहुत टाइम लग गया। मुंबई काफी एडवांस और फास्ट है। यहां हमारे जैसे लोगों को एडजस्ट करने और घुलने-मिलने में टाइम लगता है। इस वजह से बहुत धक्के भी खाने पड़े, क्योंकि उस स्पीड को हम मैच नहीं कर पा रहे थे। हां, घूमकेतु में मैंने एक स्ट्रगलर राइटर का किरदार किया है, उसी तरह मैंने बतौर एक्टर स्ट्रगल किया है। इसलिए इस कैरेक्टर और मेरी लाइफ में बहुत कनेक्शन है।
ओटीटी में आकर सिनेमाघर को किया याद?
फिल्म करते समय कभी यह नहीं सोचा जाता कि वह सिनेमाघर, टीवी या ओटीटी पर आएगी। एक एक्टर बड़ी ईमानदारी के साथ अपना काम करता है। उसके सामने सबसे बड़ा टास्क यह होता है कि वह कितनी ईमानदारी से परफारमेंस देता है। मेरा तो इसी चीज पर फोकस रहता है। फर्क नहीं पड़ता कि वह कहां पर और कब रिलीज होगी, कितने थिएटर में रिलीज होगी या उसकी पब्लिसिटी कितनी होगी।
'फिल्म कहां रिलीज होगी ये प्रोड्यूसर का काम'-नवाज
ये सारा काम डिस्ट्रीब्यूटर और प्रोड्यूसर का होता है कि फिल्म कहां रिलीज होगी और उसकी कितनी पब्लिसिटी होगी। इससे मेरा कोई सरोकार और लेना-देना नहीं होता है। वे अगर मुझे प्रमोशन के लिए बुलाते हैं तो मैं चला जाता हूं। हां, सिनेमाघर में फिल्म रिलीज न होना मैं जरा भी मिस नहीं कर रहा हूं, क्योंकि यह वक्त की जरूरत है। अभी ओटीटी का कद बहुत बड़ा हो चुका है। हां, यह बात जरूर है कि सिनेमाघर में बैठकर फिल्म देखने का जो सिनेमैटिक अनुभव होता है वह कहीं मिस होता है। आप अगर लैपटॉप या आईपैड में फिल्म देखते हुए एंजॉय करते हैं तो वह मजा आपके आसपास ही रहता है।
आने वाले सालों में क्या होगी ओटीटी की स्थिति
यकीनन ओटीटी का बहुत बड़ा कद है, इसमें कोई शक नहीं है। पूरे वर्ल्ड का सिनेमा आज आप अपने घर में बैठकर देख रहे हैं, यह शायद पहले कभी सोच भी नहीं सकते थे। लॉकडाउन के दौरान मैं अब तक 90 पिक्चर देख चुका हूं। और भी देख रहा हूं और आगे भी देखूंगा। मुझे लगता है कि हमारा सिनेमा पहले जैसा न हो तो ज्यादा अच्छा है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस लॉकडाउन में हर इंसान को दुनियाभर के सिनेमा देखने का मौका मिला है। चाहे वह नेटफ्लिक्स हो या अमेजन, इसके जरिए पूरा वर्ल्ड आपकी पिक्चर देख सकता है। मतलब आपका सिनेमा अच्छा है तो पूरा वर्ल्ड आपकी उसे देखने के लिए तैयार है।
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