Friday, December 13, 2019

किसी महिला के लिए सही लहजे में एक पुरुष की तरह नजर आना ज्यादा मुश्किल है: भक्ति राठौर December 13, 2019 at 04:30PM

बॉलीवुड डेस्क. अभिनेत्री भक्ति राठौर सीरियल 'भाकरवाड़ी' में एक पुरुष का किरदार निभा रही हैं। शो की स्टोरीलाइन के मुताबिक उर्मिला उर्फ भक्ति अन्ना (देवेन भोजानी) के ताऊ का गेट-अप में दिख रही हैं। हाल ही में दैनिक भास्कर से बातचीत के दौरान, भक्ति ने इस शो और अपने नए गेट-अप के बारे में कुछ बातें हमसे शेयर की। आइए जानते हैं क्या कहा उन्होंने:

अन्ना के ताऊ की भूमिका निभाने के लिए आपने एक पुरुष का वेश बनाया है। आगे आने वाले ट्रैक के बारे में कुछ बताएं?

अभी जो कहानी चल रही है उसमें उर्मिला, अभिषेक और गायत्री को मिलाने के मिशन पर है और इसके लिए वह कई तरह के आइडियाज लेकर आती है। जैसे-जैसे ट्रैक आगे बढ़ेगा, उर्मिला का एक आइडिया उसी पर भारी पड़ने वाला है। इस स्थिति से बाहर निकलने के लिए और अन्ना के फैसले को बदलने के लिये, उर्मिला और बाकी सभी अन्ना के ताऊ को लाने की योजना बनाते हैं। ताऊ एकमात्र ऐसे इंसान हैं जोकि अन्ना को किसी चीज के लिये भी मना सकते हैं। सब इस बारे में सोच रहे होते हैं कि कैसे ताऊ को यहां लाया जाये या फिर उनके साथ क्या हुआ होगा और वह जिंदा भी हैं या नहीं। अपने अलग अंदाज में उर्मिला चीजों को अपने हाथ में लेने का फैसला करती है और खुद ताऊ का रूप धारण कर लेती है।

एक पुरुष की तरह कपड़े पहनना कितना आसान या कितना मुश्किल है?

यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस तरह की भूमिका निभाने वाले हैं। महिलाओं के लिए पुरुषों के कपड़े पहनना बहुत ही मुश्किल काम है। जैसे कि पुरुषों के लिये महिलाओं के वेश में आना। इसके साथ ही पुरुषों और महिलाओं की कद-काठी में काफी फर्क होता है। इसलिए, किसी महिला के लिये सही लहजे में एक पुरुष की तरह नजर आना ज्यादा मुश्किल है। ताऊ के किरदार के साथ, उस रियलिटी को लाना उसे और भी मुश्किल बना रहा है। चूंकि, वह अन्ना, के आदर्श हैं तो उन्हें उनसे ज्यादा प्रभावशाली होना होगा। अन्ना खुद की पसर्नालिटी काफी स्ट्रिक्ट है और ऐसे में यह और भी ज्यादा महत्व्पूर्ण हो जाता है।

ताऊ का लुक किस तरह से तैयार होता था? क्या -क्याा चुनौतियां थीं?

चूंकि, हम ताऊ के किरदार के साथ बीते जमाने में जा रहे थे तो हमें उनके लुक और हाव-भाव पर ज्यारदा गंभीरता से काम करना था। हमारे पास कुछ उदाहरण थे, हम सबने अपना-अपना दिमाग लगाया और हमने दो दिनों तक लगातार काम किया। उनमें से एक दिन मैंने परफेक्टक लुक के लिए लगातार 11 घंटे और 30 मिनट काम किया। हमने कई सारे लुक को आजमाकर देखा, उस जमाने के साथ तालमेल बिठाने की कोशिश कर रहे थे, प्रोडक्शन की क्रिएटिव टीम और चैनल ने परफेक्ट लुक मिल सके इसलिए बहुत मेहनत की।

दूसरी चुनौती उम्र की थी। हम बुजुर्ग दिखाने के लिये प्रोस्थेकटिक मेक-अप की तरफ नहीं जाना चाहते थे। सेट पर हमारे सबसे सीनियर मेक-अप आर्टिस्ट हैं, उन्होंने मुझे खुद पर बूढ़े का मेकअप करते हुए देखा था और उन्होंने मुझे इस भूमिका के लिए भी ऐसा करने के लिए कहा। इसलिए, मैंने इस पूरे लुक के लिये खुद पूरा मेक-अप किया। ताऊ के लुक के लिए मुझे 2 ज्यादा घंटे लगे। आखिरी मिनटों में हमने बंडी पहनने का फैसला किया और टेलर ने तुरंत ही उसे तैयार कर दिया। इस दौरान मैं उर्मिला के मेक-अप से ताऊ के लुक में आ गयी। उस दिन हमने 11.30 बजे तक शूटिंग की और इसके बावजूद अगले दिन सब सुबह 7 बजे सेट पर पहुंच गए। लुक को परफेक्टि बनाने के लिए वाकई सब पूरी तरह से जुटे हुए थे।

इस भूमिका के लिये क्या आपने कोई खास तैयारी की?

मुझे हमेशा से ही अन्ना का किरदार पसंद रहा है। मैं तो छुप-छुपकर देवेन भाई को परफॉर्म करते हुए देखती हूं क्योंकि हेट्सऑफ प्रोडक्शकन से जुड़े बाकी कलाकारों की तरह ही उनकी बेहतरीन तैयारी है। मैं उन्हें एक सीनियर कलाकार के रूप में अपना आदर्श मानती हूं और बतौर कलाकार, निर्देशक उन्होंने कुछ बेहद कमाल के काम किए हैं। कई बार तो वह खुद किरदारों की स्केचिंग करते हैं। इसलिये, मुझे जब भी मौका मिलता है मैं उनसे सीखने की कोशिश करती हूं और यही चीज मैंने ताऊ के किरदार के लिए भी किया है। कई बार ऐसा होता है मैं उनके साथ बैठकर कुछ खास मराठी शब्द के बारे में उनसे पूछती हूं या फिर कुछ किरदारों की कुछ बारीकियों को किस तरह से लेते हैं, इस बारे में पूछती हूं। अन्ना के किरदार और उनकी भाषा को समझने के लिये मैंने कुछ एपिसोड्स भी देखे ताकि ताऊ के किरदार को जीवंत बना सकूं। मैं नहीं चाहती थी कि वह अन्ना की नकल लगे, क्योंकि वह खुद एक इंडिपेंडेंट किरदार हैं। चूंकि, मैंने खुद ताऊ के किरदार को बनाया है, मैंने इसके लिए काफी सारी तैयारियां की। हर किसी को, जिसमें हमारे क्रिएटिव डायरेक्टर, राइटर आतिश भाई और पूरी टीम शामिल हैं, उन सबका शुक्रिया कि उन्होंने इस किरदार को गढ़ने के लिए मुझ पर यकीन किया।

चूंकि, यह एक मराठी किरदार है, आपने इसके बोलने के तौर-तरीकों पर किस तरह काम किया?

शुरुआत से ही मैं भाषाओं को सीखने की बेहद इच्छुक रही हूं। चूंकि, मैं महाराष्ट्र में रहती हूं, तो मैंने इस बात का ध्यान रखा कि मुझे मराठी आनी चाहिए। साथ ही मुझे यात्रा करना पसंद है और मैं कई लोकल जगहों पर गयी हूं, इसलिये मुझे इस भाषा की समझ है। मेरी शादी एक महाराष्ट्रियन से हुई है और इसलिये वह संस्कृति मेरे अंदर नेचुरलरूप से है। इसलिए, इसके बोलने के तौर-तरीकों पर काम करना मेरे लिए मुश्किल नहीं था।



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It is more difficult for a woman to look like a man in the right tone - Bhakti Rathore

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