बॉलीवुड डेस्क. 66वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में मेनस्ट्रीम बॉलीवुड फिल्मों का जलवा है। 'उरी', 'अंधाधुन' और 'बधाई हो जैसी मुख्यधारा की फिल्मों ने अलग अलग कैटिगरीज में कई पुरस्कार जीते हैं। सोमवार को इसके पुरस्कार वितरण समारोह में सभी लोग पहुंच रहे हैं। वहां निकलने से पहले उन्होंने खास तौर पर दैनिक भास्कर से बात की।
बधाई हो को दो कैटिगरी में पुरस्कार मिले हैं। इस फिल्म को बेस्ट पॉपुलर फिल्म और इसकी एक्ट्रेस सुरेखा सीकरी को बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का नेशनल अवॉर्ड मिलने जा रहा है। उनके डायरेक्टर अमित रविंद्रनाथ शर्मा की खुशी और उत्सुकता सांतवें आसमान पर है।
अमित ने कहा, ‘भगवान की कृपा है। साल के आखिर और नए साल का आगाज बेहतरीन तरीके से हो रहा है। मैं तो पहली दफा जा रहा हूं वहां पर। जो भी जानकारी मिल रही है समारोह के बारे में, उससे एक्साइटमेंट बढ़ता जी रहा है। लिहाजा हाथों में जब सम्मान होगा तो खुशी की सीमा कुछ और ही होगी। सम्मान लेने मैं और फिल्म के दोनों प्रोड्युसर पहुंच रहे हैं। अपने पिताजी को भी साथ ले जा रहा हूं। उन्होंने कहा कि बेटे को सम्मानित होता देखूंगा तो काफी गर्व सा महसूस होगा। ’
अच्छी बात यह है फिल्म क्रिटिकली और कमर्शियली दोनों तरह से सफल रही। अब नेशनल अवॉर्ड भी हासिल कर रही है। मुझे लगता है कि एक तो इसका टॉपिक ऐसा था, जो सबको देखने का मन किया। फैमिली फिल्म थी तो पूरा परिवार देखने इसे आया। उससे यह कमर्शियली सक्सेसफुल हो गई। सेंसिबली इसे लिखा गया था, लिहाजा नैशनल अवॉर्ड के लिए इसे कंसीडर किया गया।
नेशनल अवॉर्ड बहुत बड़ी चीज है मेरे लिए। जब यह अनाउंस हुआ था इस साल अगस्त में तो मैं इमोशनल हो गया था। ऐसी सराहना मिलना बड़े भाग्य की बात है। चाहूंगा कि बार बार यह अवॉर्ड मिलता रहे। इससे पहले तेवर बनाई थी। वह भी कमर्शियल फिल्म थी। वह चल नहीं पाई थी। उससे यही सीख मिली थी कि आप भले कितनी ही कमर्शियल फिल्म बना लें, उसकी कहानी सही नहीं है तो लोग पसंद नहीं करेंगे। आइडिया बड़ा होना चाहिए। जनता ने बता दिया है कि वे किसी फिल्म को देखेंगे कि नहीं? ट्रेलर बाद ही रूझान आ जाते हैं फिल्म के बारे में। पहले ऐसा नहीं था पांच दस पहले तक। पहले औसत कमशिर्यल फिल्में भी हिट हो जाया करती थीं।
नेशनल अवॉर्ड को लेकर मेरा फर्स्ट इंप्रेशन बड़ा ही पॉजिटिव रहा है। मैं दरअसल अवॉर्ड्स का भूखा रहा हूं। अपने एडवरटायजिंग के दिनों में भी मुझे काफी अवॉर्ड्स मिले हैं। मेरा मानना है कि नेम के साथ साथ अवॉर्ड्स मिलने भी जरूरी हैं। उन अवॉर्ड्स में नेशनल अवॉर्ड सबसे बड़ा तो है ही। वह अतुलनीय है। रहा सवाल ऑस्कर का तो वहां तक भी पहुंचने की कोशिश रहेगी। इंसान रूकता कहीं नहीं न। मैं वैसे भी उस मिजाज का इंसान हूं, जो कहीं भी आसानी से संतुष्ट नहीं होता।
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