भूमि पेडणेकर 'डॉली किट्टी और वो चमके सितारे' में निभाए गए अपने किरदार के साथ खुद की अजीब समानता देख कर आश्चर्यचकित हैं। लॉकडाउन के चौथे फेज तक भूमि यादों के सफर पर निकलीं तो उनको लंबे अरसे से खोई हुई स्कूल के दिनों की स्क्रैपबुक मिल गई, जो उनके लिए एक बहुतबड़ा पल था।
भूमि कहती हैं- इतना अधिक समय मिल रहा है कि आप इसका इस्तेमाल खुद को व्यवस्थित करने के लिए कर सकते हैं। और यह सिर्फ अपनी जगह को व्यवस्थित करने की बात नहीं है, बल्कि अपने मन को भी साफ-सुथरा कर सकते हैं। मैं अपने पुराने घर में एक ट्रंक साफ कर रही थी और तभी मेरे स्कूल की एक स्क्रैपबुक हाथ लग गई।
एक्टिंग कॉलेज का मेरा पहला डीवीडी ऑडिशन टेप, मेरी लिखी पहली स्क्रिप्ट भी इसी दौरान मिली। मैं बेहद नॉस्टैल्जिक महसूस कर रही थी। ‘डॉली किट्टी’ फिल्म में मेरा किरदार अपनी स्क्रैपबुक के साथ कुछ ऐसा ही करता है और यह पल अनूठा था। एक एक्टर के रूप में आप को अपने जीवन के कई अनुभव फिर से जीने को मिलते हैं और सिनेमा की यही चीज मुझे बेहद भाती है।
लॉकडाउन की लाइफ के बारे में बात करते हुए भूमि ने शेयर किया- फर्स्ट वीक बड़ा अजीब था। चूंकि मेरा रूम सड़क की तरफ है तो आमतौर पर बहुत शोरगुल रहता था, लेकिन अचानक वहां खामोशी छा गई। हालांकि धीरे-धीरे 2-3 दिनों में उस शोर की जगह पक्षियों की चहचहाहट ने ले ली। लॉकडाउन का पहला हफ्ता पागलपन भरा था। हम सब वायरस के बारे में ही बातें करते रहते थे। उसकी बात तो हम अभी भी करते हैं, लेकिन अब हमने इससे निपटने का तरीका निकाल लिया है। इतने सारे लोग जो कुछ भुगत रहे हैं, उसके बारे में सहानुभूति रखें।
भूमि हर दिन शाम 6 बजे से अपनी मां सुमित्रा और बहन समीक्षा के साथ पूरी तरह जुट जाती हैं। सरल शब्दों में कहा जाए तो वह घर का कंट्रोल अपने हाथों में ले लेती हैं। उनका कहना है- “मुझे अपना रूम और घर सजाना बहुत पसंद है - हमेशा कोई म्यूजिक बजता रहता है, मैं कैंडिल जलाती हूं। इसलिए शाम 6 बजे के बाद घर पर मेरा नियंत्रण होता है, क्योंकि मेरे लिए यह जिंदा रहने का एक तरीका है। आपको पॉजिटिव बने रहना होगा और सकारात्मकता फैलानी होगी।
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