फिल्म- 'अटकन चटकन'
राइटर-डायरेक्टर- सौम्य शिवहरे
म्यूजिक डायरेक्टर- शिवमणि
कलाकार- लिडियन नदस्वरम, यश राणे, सचिन चौधरी, तमन्ना दीपक, आयशा विंधारा आदि।
कहां देखें- ZEE5
स्टार- 3.5/5
हमारे यहां बच्चों पर बहुत कम फिल्म या धारावाहिक बनाए जाते हैं, क्योंकि इससे निर्माता को अच्छी कमाई नहीं होती। काफी समय बाद बच्चों पर एक फिल्म आई है- 'अटकन चटकन'। इसके प्रेजेंटर ए.आर. रहमान हैं, जबकि राइटर-डायरेक्टर सौम्य शिवहरे और म्यूजिक डायरेक्टर शिवमणि हैं। यह फिल्म चार ऐसे दोस्तों- गुड्डू (लिडियन नदस्वरम), माधव (यश राणे), छुट्टन (सचिन चौधरी), मीठी (तमन्ना दीपक) की कहानी है, जो अपने शौक और सपने को पूरा करना चाहते हैं। अहम रोल में गुड्डू की बहन लता (आयशा विंधारा) भी है।
कहानी के मुताबिक गुड्डू चाय की स्टॉल पर काम करता है। उसे हर चीज में रिदम सुनाई देती है। एक दिन जब वो यंग आर्केस्ट्रा कंपनी में चाय देने जाता है तो वहां लोगों को वाद्य यंत्र बजाते देखकर प्रभावित होता है। इसके बाद वो उन लोगों से गुजारिश करता है कि वे उसे अपने साथ काम पर रख लें।
वहां के लोग नौकरी देने के लिए कहते हैं, लेकिन अगले दिन जब गुड्डू जाता है तो उसे काम पर नहीं रखते। इधर चाय स्टॉल पर काम छोड़़ने की वजह से नौकरी के लिए दर-दर भटकते गुड्डू को भंगार की दुकान पर काम मिल जाता है। गांव से शहर नौकरी पर आते-जाते गुड्डू की मुलाकात छुट्टन और मीठी से होती है, जो बस में गा-बजाकर पैसे मांगते हैं।
एक दिन छुट्टन और मीठी भंगार की दुकान से बर्तन चुराते हैं, तब गुड्डू पर शक होने की वजह से उसे नौकरी से निकाल दिया जाता है। जब उन्हीं बर्तनों को बजाते हुए छुट्टन और मीठी को गुड्डू देखता है, तो उनसे झगड़ बैठता है। इनके बीच-बचाव में माधव आता है और चारों में गहरी दोस्ती हो जाती हैं। चारों मिलकर एक बैंड बनाते हैं, जिसमें टूटे-फूटे सामान को जोड़कर बजाते हैं।
एक दिन इनके बैंड पर प्रिंसिपल की नजर पड़ती है, तब अपने स्कूल की तरफ से संगीत प्रतिस्पर्धा में भाग लेने के लिए इनकी तैयारी करवाता है। इसके आगे किस तरह कहानी में ड्रामेटिक मोड़ आता है, इसका मजा फिल्म देखने के बाद ही आएगा।
फिल्म के गानों की बात करें तो टाइटल सॉन्ग 'अटकन चटकन...' मार्मिक होने के साथ-साथ कहानी को भी आगे बढ़ाता है। 'दाता शक्ति दे...' गाना काफी इमोशनल है। दिलचस्प बात यह है कि फिल्म के गाने अमिताभ बच्चन, सोनू निगम, हरिहरन, रूना शिवमणि और उथारा उन्नीकृष्णन जैसे दिग्गजों ने गाए हैं।
एक गाने के बीच में अमिताभ बच्चन की चिर-परिचित आवाज सुनकर एक बार तो चौंक जाएंगे, लेकिन अगले ही पल सुखद अनुभव होता है। लोकेशन की बात की जाए तो जमुनिया गांव हो, कब्रिस्तान हो या रेलवे यार्ड का डिब्बा, सब कुछ बड़े नेचुरल तरीके से फिल्माया गया है। हां, फिल्म के क्लाइमैक्स में थोड़ा बिखराव जरूर नजर आया, जो कहानी से कम तालमेल खाता है। अगर एंड इमोशनल होता तो दिल पर और गहरी छाप छोड़ जाता।
क्यों देखें- जीवन में आशा जगाने वाली इस फिल्म को बच्चों से लगाव रखने वाले और म्यूजिक प्रेमी देख सकते हैं।
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