बॉलीवुड डेस्क. लगभग तीन दशकों से फिल्मों में एक्टिव काजोल इंडस्ट्री में बड़े बदलाव देखती हैं। काम को लेकर चूजी काजोल वेब की बढ़ती पॉपुलैरिटी से खुश हैं। इस मुलाकात में उन्होंने इंडस्ट्री में आए बदलाव, वेब सीरीज की पॉपुलैरिटी आदि पर बातचीत की।
काजोल कहती हैं 'पहले की तुलना में कैमरे के सामने इतना कुछ भी नहीं बदला है। सेटअप में ऑफकोर्स बहुत बदलाव आया है। एक तो वैनिटी वैन आ गई है, जो बहुत बड़ी बात है। बहुत सारे कॉरपोरेट हाउस आ गए हैं, सब कुछ बहुत स्टीम लाइन हो गया है, पूरा माहौल बहुत प्रोफेशनल हो गया है। पहले बहुत ही कैजुअल।
उन्होंने बताया कि हम मिलते थे, बातचीत में ही तय कर लेते थे कि चलो फिल्म करते हैं। कल शूटिंग पर आ जाना। हां, कल मैं आ रही हूं... किसी के बोलने पर आपने फिल्म कर ली, ऐसा होता था। कभी-कभी कॉन्ट्रैक्ट साइन होता था तो कभी नहीं भी होता था। आपको पता होता था कि यह फिल्म आपके हाथ से कहीं नहीं जाएगी। हमारी इंडस्ट्री में ही है, कहां जाएगा। हम सबकी सोच वैसी थी। आजकल तो बहुत कॉन्ट्रैक्ट हो गए हैं।
वैनिटी न होने से होती थी प्रॉब्लम
हमें कपड़े बदलने होते थे, बाथरूम जाना होता था या फिर बैठना होता था, तब उसके लिए परेशानी का सामना तो करना ही पड़ता था। सेट पर कुर्सियां तो होती थीं, लेकिन उसके लिए कहीं वक्त लग गया, तब हम टॉवल बिछाकर एक-दो बार नीचे भी बैठ गए हैं। हमने हर मौसम में काम किया है। एक बार मुझे याद है, फिल्म 'हलचल' के टाइम पर अचानक बारिश गिरने लगी। तब स्पॉटबॉय छतरी ढूंढने के लिए भागा। हम सब इधर-उधर छिपने की कोशिश कर रहे थे। हम सब देख रहे थे कि छतरी आएगी... आएगी, पर स्पॉटबॉय एक छतरी लेकर आया। अब उस एक छतरी में कितने लोग बैठेंगे! फिर तो हम लोग टेबल को उल्टा करके उसके नीचे बैठ गए। हम भागकर भी कहां जाते। आज इंडस्ट्री में काफी सुविधा हो गई है।
वेब बड़ा प्लेटफॉर्म है इसमें जरूर काम करूंगी
हम एक्टर्स के लिए हर मीडियम जो खुलता है, उसमें डिजिटल बहुत बड़ा प्लेटफार्म बन गया है। मुझे लगता है कि फिल्म इंडस्ट्री और बढ़ रही है। उसमें काफी कुछ खराब भी हो रहा है, लेकिन यह भी लगता है कि बहुत ज्यादा क्रिएटिविटी भी मिल रही है। अगर मुझे कोई अच्छी स्क्रिप्ट मिली, तब वेब में जरूर काम करूंगी। मुझे जो इंटरेस्टिंग लगता है, जिसमें कुछ कर सकती हूं, वह करूंगी। मुझे ऑफर्स भी आते हैं, पर अभी तक ऐसा कुछ नहीं आया है, जिसे मैंने हां कह सकूं।
न्यू कमर्स भी अपने टैलेंट से इंडस्ट्री को आगे ले जा रहे
न्यू कमर्स अपने टैलेंट के हिसाब से इंडस्ट्री को आगे लेकर जा रहे हैं। मुझे लगता है कि उनके जो चैलेंजेस हैं, वह अलग हैं। हम इस्टैबलिश्ड थे। एक तरह से हमारा स्टार बनना आसान हो गया, क्योंकि हमें सोशल मीडिया वगैरह नहीं करना पड़ा। आई थिंक, कहीं न कहीं नए लोगों के लिए अब मुश्किल हो गया है, क्योंकि हम सब उस वक्त में जो थे, उन सबकी एक अलग-अलग आइडेंटिटी थी। हम सब एक-दूसरे की तरह नहीं दिखते थे। मुझे लगता है कि आजकल इनका सबसे बड़ा चैलेंज यही है कि यह सबकी तरह न लगें या सबकी तरह लगें।
प्रोजेक्ट के बारे में न बोलने को अच्छा मानती हूं
जैसा कि पहले ही बताया कि पहले हम रिलेशन के चलते फिल्में कर लेते थे। पहले रिश्तों पर भरोसा भी था। आज के जमाने में यह नहीं बोल सकते हैं। उस समय हमारी इंडस्ट्री छोटी थी। लोग एक-दूसरे को बखूबी जानते थे। प्रोजेक्ट के बारे में कुछ न बोल पाने की पाबंदी को एक तरह से मैं अच्छा ही मानती हूं, क्योंकि आप जब कॉन्ट्रैक्ट साइन करते हैं, तो उसका सीधा सा मतलब है कि आप उस कागज पर साइन कर रहे हैं, जिसमें लिखा है कि कहां कितना बोलना और कहां कितना नहीं बोलना है। इसमें सीधे-सीधे रूल के बारे में पता चलता है।
(जैसा काजोल ने उमेश कुमार उपाध्याय को बताया...)
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