मदर्स डे के मौके पर सलमान खान के पिता राइटर सलीम खान ने दैनिक भास्कर के साथअपने बच्चों और उनकी मां सलमा के बीच रिश्तोंपर बात की की। सलीम कहते हैं- वह सलमान हों या कोई और सबके लिए मां पहली टीचर होती हैं। सलमान को भी अच्छे-बुरे की तालीम उनकी मां से मिली है। घर से अच्छे संस्कार मिले हैं। उनकी मां उन्हें हिदायत देती रही हैं और गलती पर सबक भी सिखाती रही हैं।
उनकी मां या मैं कभी बच्चों को बहुत ज्यादा दुलारनेरखने में यकीन नहीं रखते। आजकल की मां तो बच्चे के जरा से अच्छे काम परतारीफों के पुल बांध देती हैं। हमारे यहां ऐसा नहीं रहा है। अच्छा काम करना तो किसी भी औलाद का धर्म है। फर्ज है। किसी अंधे को रास्ता पार करवा दिया। प्यासे को पानी पिला दिया। हर हाल में यह तो करना ही है। उस पर उसकी पीठ क्यों थपथपाना? यह बात सलमा हमेशा से सलमान के दिमागमें डालती रही हैं।
हर मां में योद्धा से ज्यादा इंसानियत छिपी होती है। सलमा में भी वही बात है और उन्होंने हमेशा चाहा कि वही चीज सलमान, सोहेल, अरबाज में भी आए। बाकी तीनों बच्चों के साथ सलमा मां की तरह भी पेश आती हैं। साथ ही जो बच्चा फाइनेंशियलीऔर फिजिकली ज्यादा कमजोर हो, उसके साथ और बेहतर तरीके से पेश आती है।
सलमान की पहली कमाई ₹75 थी। वह अभी भी इतनी ही है (हंसते हुए)। आज भी जेब खर्च कई बार हमसे लेते हैं। सारी कमाई मां-बाप के पास रख जाते हैं और जब खर्च करना हो तो हमसे ले जाते हैं। (हंसते हुए) माफ कीजिएगा पहली कमाई उन्होंने खुद पर ही खर्च की थी। मां-बाप के लिए क्या लाते वो? अब जरूर अच्छा कमाते हैंतो कुछ नकुछ सब के लिए लाते रहते हैं। जब सलमान एयरपोर्ट पर आते हैं, तब खासतौर पर उन्हें याद आता है मां के लिए क्या लेना है? पापा के लिए क्या लेना है? बहन के लिए क्या लेना है? भतीजे-भांजे के लिए क्या लेना है?
सलमान हो, अरबाज हो या सोहेल हो उन्हें हमेशा इस बात का ख्याल रखा है कि वे ऐसा कोई काम न करें, जिससे हमारे मां-बाप को बुरा लगे। उनकी मां भी हमेशा यही कहती है कि ऐसा काम मत करना किउनकी नजरों में गिर जाएं। मुझे बच्चों की बात बुरी लगती है तो मैं डेढ़ महीने बात करना बंद कर देता हूं। मैंने किसी भी गलत बात पर अपने बच्चों को कभी जस्टिफाई नहीं किया। इस चीज को सलमा ने भी बाकायदा मेंटेन किया। सलमान की लाइफ में ढेर सारे प्रॉब्लम आए, लेकिन कभी हमने यह नहीं कहा कि हमारा बच्चा बेगुनाह है।
सलमा और मैंने इरादतन यह तय किया था कि बच्चों के साथ रिश्ता दोस्ती वाला रहे। यह बात अलग है कि तीनों बेटे मां या मेरा आज भी बहुत लिहाज करते हैं। इन सबकी इस जिंदगी में सलमा बतौर मां हमेशा बफर जोन बनकर रहतीहैं। बच्चों की बात बुरी लगने पर मैं जरूर डेढ़ महीने बात नहीं करता, लेकिन सलमा वैसी नहीं रही हैं। वह माफ कर देती रही हैं सबको।
वे घर में 3-4 किस्म का खाना इसलिए नहीं बनाती कि हमारे घर में बहुत अमीरी आ गई है, बल्कि इसलिए बनाती हैंकि जो चीज अरबाज को पसंद है, वह सोहेल को नहीं, जो सोहेल को पसंद है, वह सलमान को नहीं। तीनों भाइयों की पसंद अलग है।
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