बड़े परदे पर मां के किरदार को जीवंत करने वाले कई कलाकार हैं जिनमें सीमा पाहवा का नाम भी शामिल है। उन्होंने दम लगा के हईशा, शुभ मंगल सावधान और बाला में भूमि पेडनेकर की मां की भूमिका निभाई। साथ ही वह फिल्म बरेली की बर्फी में कृति सैनन की मां की भूमिका में भी दिखी थीं। मदर्स डे के मौके परनए जमाने की दो एक्ट्रेस के साथ काम करने का अनुभव सीमा पाहवा ने दैनिक भास्कर के साथ साझा किया।
वर्कशॉप में भूमि से बनवाई थी चाय: सीमा बताती हैं, 'जब मैंने भूमि के साथ दम लगा के हईशा की थी तो शूटिंग से पहले वर्कशॉप की थी। मैंने भूमि से पहली मुलाकात में चाय बनवाई थी। तब शायद भूमि को लगा भी होगा कि यह मैं क्या करवा रही हूं? पर मैं चाहती थी कि उनके साथ बतौर एक्टर रिश्ता सहज हो पाए और कैमरे के सामने हम बखूबी परफॉर्म कर सकें। इस वर्कशॉप के बाद हमारे बीच मां - बेटी की एक अच्छी बॉन्डिंग हो गई थी। '
'शुभ मंगल सावधान में भूमि के साथ औरत गुफा का द्वार वाला सीन हो या फिर दम लगा के हईशा में पति को रिझाने की समजाइश देने वाला सीन, यह सब इसलिए हो सका क्योंकि हम दोनों एक-दूसरे के साथबहुत कंफर्टेबल थे।
मैंने डायरेक्टर से कहा था कि मेरे किरदार को इतना मासूम और थोड़ा सा बेवकूफाना तरीके से इसे पेश किया जाए कि यह अश्लील ना लगे और दर्शकों को इस किरदार की मासूमियत और बेवकूफी से प्यार हो जाए। भूमि ने भी ऑफस्क्रीन हमेशा अच्छा रिश्ता मेंटेन किया है। बाला के टाइम पर हम लोग साथ में ही खाना शेयर किया करते थे।'
कृति की भी तारीफ की: सीमा ने कहा,'कृति सेनन के साथ भी एक इनफॉर्मल रिश्ता कायम हो सकता था। हालांकि, उसका वक्त नहीं मिला। हम सीधा लखनऊ में सेट पर ही मिले। साथ ही वह जिस स्कूल ऑफ़ एक्टिंग से आती हैं, उससे मैं बिल्कुल अलग हूं। 'बरेली की बर्फी' के वक्त वो नई थी। सीख रही थी। ऐसे में मैंने उन पर अपने अनुभव का बोझ नहीं डाला ।
वह बहुत अच्छी लड़की हैं। वो बड़ों का सम्मान करना जानती हैं। उस वक्त मेरे, पंकज और कृति के बीच अच्छी बॉन्डिंग हो रही थी। जो हम दोनों सीन कर रहे थे, वह कृति देख रही थी। जो कृति कर रही थी, वह हम लोग देख रहे थे। ऐसे में हम लोग एक-दूसरे के लिए मिस्ट्री नहीं थे।
एक और चीज अच्छी रही कि हमारे यहां सेट पर स्टार अलग-अलग बैठते हैं। उनके बीच कैमरे के सामने शूट को छोड़ दें तो कोई वैसा गहरा नाता नहीं बनता है, लेकिन यहां कृति के साथ ऐसा नहीं हुआ। सब लोग साथ बैठते थे। डायरेक्टर अश्विनी अय्यर तिवारी सेट पर हंसी मजाक का माहौल बना कर रखती थी, जिससे कृति और हम-सब के बीच अनजानेपन का भाव नहीं था।
कृति ने हम लोगों के रंग में रंगना शुरू कर दिया। वह उस तरह की एक्टिंग नहीं कर रही थी, जैसा हीरोपंती या हाउसफुल में की। इस तरह से उनके साथ भी ऑनस्क्रीन मां बेटी का रिश्ता काफी निखर कर आया।'
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