बॉलीवुड डेस्क. वर्षों से इंडस्ट्री में सक्रिय आसिफ शेख बॉलीवुड और टेलीविजन में समान रूप से काम करते आए हैं। चार वर्षों से कॉमेडी शो ‘भाभीजी घर पर हैं’ में लीड रोल प्ले कर रहे आसिफ ने तरह-तरह के रोल निभाए। जमीन से जुड़े आसिफ वर्षों से ज्यों के त्यों नजर आ रहे हैं। आसिफ से करियर, सेहत आदि पर बातचीत:
चार साल से एक ही शो कर रहे हैं, ताजगी बरकरार रखने के लिए क्या खास करते हैं?
ताजगी के लिए कुछ नया-नया करना पड़ता है। हम लोग परफॉर्मेंस, डायलॉग से लेकर कॉस्टयूम तक को ताजा बनाए रखने की कोशिश करते हैं। राइटर-डायरेक्टर जब नए एपिसोड के बारे में बताता है, वहीं से हमारा होमवर्क शुरू हो जाता है। ज्यादातर मेरा करेक्टर डिफरेंट होता है, इसलिए डायलॉग से लेकर कास्ट्यूम आदि के बारे में डिस्कस करते हैं। दरअसल यह कॉमेडी शो है तो इसमें इन्वॉल्व रहने की कोशिश करते हैं ताकि कुछ रिपीट न करें। इस शो का एक्साइमेंट है, उसे बरकरार रखना बहुत जरूरी है।
साल-छह महीना फिल्म या सीरियल करते हैं, तब यह फैमिली जैसा माहौल बन जाता है। आप सब चार साल से कर रहे हैं। आखिर कैसा माहौल बन पड़ा है?
चार साल से एक-दूसरे से मुलाकात हो रही है, एक-दूसरे के सुख-दुख में सहभागी होते हैं, साथ में खाना-पीना, हंसना-रोना सब कुछ होता है, सो एक फैमिली जैसा माहौल बन गया है। यह ऐसा डेलीसोप नहीं है कि जिसमें हम झगड़कर बैठे हों और हमारा अलग-अलग शॉट ले लिया जाए। इसके लिए आपस में डिस्कशन, इंटैरेक्शन और बॉडिंग बनाकर चलना पड़ता है। ऑफ स्क्रीन अच्छा माहौल है, तभी तो वह स्क्रीन पर दिख पर रहा है। मेरी तो अनीता, तिवारी जी सबके साथ बनती है। सीनियर हूं, सो मेरी सभी बहुत इज्जत और मान-सम्मान करते हैं। मैं भी सभी को अपने दोस्तों और भाइयों की तरह मानता हूं। हम सब घुल-मिलकर प्यार-मोहब्बत से रहते और काम करते हैं।
‘हमलोग’ से लेकर ‘भाभीजी घर पर हैं!’ तक टेलीविजन जगत क्या बदला हुआ पाते हैं, जो बतौर एक्टर आपको अखरता हो?
पहले एक्टर को अपने किरदार की तैयारी के लिए वक्त मिलता था, वह अब नहीं मिलता है। अब प्रॉब्लम यह है कि रोज की दुकान हो गई है। कई बार ऐसा लगता है कि शॉट को दोबारा लेना चाहिए, पर समय की कमी के चलते कुछ नहीं कर सकते। ऐसे में क्वालिटी सफर करती है। अगर वही दिन में दो-तीन शॉट करने हों, तब ठीक है। यहां तो दिन में सात-सात सीन करने पड़ते हैं, तब क्वालिटी उसमें डिस्ट्रीब्यूट हो जाती है।
पहले सालों-साल धारावाहिक चलते थे। अब कुछ महीनों या साल-भर ही चलते हैं। इस चलन को किस तरह से देखते हैं?
अब लोगों के पास अच्छे कन्टेंट देखने के लिए बहुत सारे ऑप्शन आ गए हैं। ऐसे में कॉम्प्टीशन बहुत बढ़ गया है। अब तो वही दिखेगा, जिसमें दम होगा। कॉन्टेंट में जब जान नहीं होती है, तब छह महीने क्या तीन महीने में ही शोज उतर जाते हैं।
टेलीविजन की अब धीरे-धीरे दर्शकता कम होती जा रही है, पहले जैसा अब टेलीविजन कहां देखते हैं लोग! अब तो टीवी का माध्यम ऐसा हो गया है कि उसे घर बैठकर ही देखने की जरूरत नहीं है, इसे कहीं भी देख सकते हैं। हां, अगर कोई अच्छा काम करता है, तब उसके लिए ऑडियंस अप्रीशिएट भी करती है।
बढ़ता माध्यम कहें या बदलता चलन, आज टेलीविजन स्टार फिल्मों और वेब सीरीज की तरफ रुख कर रहे हैं। आप तो उम्दा फिल्में कर चुके हैं, फिर फिल्मों से दूरी क्यों बनाए हुए हैं?
दूरी नहीं बनाया हूं। मेरे साथ सबसे बड़ी बात यह है कि मुझे टाइम ही नहीं मिलता है। मैंने ‘भारत’ फिल्म को बहुत मुश्किल से टाइम निकाल कर किया। फिल्म में अगर डिफरेंट रोल कर रहे हैं, तब उसके लिए 20 से 25 दिन चाहिए होता है। यहां चार दिन की छुट्टी मांगता हूं, तब मुझे मना कर दिया जाता है। अब बताइए कैसे फिल्म करूं मैं! ‘भारत’ में काम करके मुझे बड़ा मजा आया। फिल्म का एक चॉर्म होता है। उसे करने का एक अलग ही मजा आता है। दरअसल, मैं लाइफ में प्लानिंग नहीं करता हूं। जब भी प्लानिंग करता हूं, तब दुखी होता हूं। जिंदगी जहां और जिस मोड़ पर ले जाती है, उस मोड़ पर चला जाता हूं।
साल 2019 कैसा रहा? नए साल की क्या खास गतिविधियां होंगी?
मैं ऐसी कोई प्लानिंग नहीं करता हूं कि अगले साल तीन फिल्में करूंगा, अगर तीन फिल्में नहीं मिली तो? साल में दो से तीन फिल्में करता आया हूं। लेकिन चार साल से एक ही फिल्म कर पाया हूं, क्योंकि डेट प्रॉब्लम होती है। ‘भाभीजी घर पर हैं’ शो के लिए मेरी सबसे बड़ी कमिटमेंट है। सबको छुट्टी मिल जाती है, पर मुझे नहीं मिलती है। मुझे अगर 2 दिन की छुट्टी मिल जाए, तब समझता हूं कि लाइफ में बहुत बड़ा अचीवमेंट हुआ है। इसलिए कुछ कमिटी नहीं कर सकता। मैंने ‘भारत’ के लिए कैसे खींचतान करके डेट्स निकाले वह मैं ही जानता हूं। इस फिल्म को कभी तीन दिन, कभी चार तो कभी पांच दिन, ऐसा करके कुल 20 दिन का डेट्स दिया।
अच्छा, बरसों से देखते आए हैं कि आपकी फिटनेस ज्यों की त्यों बनी हुई है। इसका राज क्या है?
देखिए, इसका राज तो मैं जानता नहीं हूं। ऊपर वाले का करम है, जो मुझे फिट रखा है। मेरा फिटनेस का मूल मंत्र यही है कि सब कुछ खाता हूं, पर भूख से दो रोटी कम खाता हूं। एक्सरसाइज मैं रेगुलर करता हूं। मेरी सेहत के लिए जो अच्छा है वही खाता हूं। बहुत सोच समझ कर खाता हूं। मुझे डायबिटीज तो नहीं है, पर साल भर हो गए शुगर छोड़ दिए। एक साल से मीठे में केक, शक्कर, मिठाई कुछ भी नहीं खाया। मेरी लाइफ में शुगर है ही नहीं। अगर जिंदगी में कोई जहर है, तब वह शुगर है। जिंदगी में जितनी भी बीमारियां आती हैं, वह सब शुगर की वजह से आती हैं। शुगर नहीं खाएंगे तो लाइफ में खुश हो जाएंगे।
साल भर से आपने शुगर छोड़ा है, इसका सेहत पर क्या असर पड़ा?
मुझ में बहुत सारी चीजें पहले से बेहतर हो गई हैं। अब बेहतर एनर्जी है, स्किन बेटर है, बॉडी लैंग्वेज बेटर हुई है। सुबह एक्सरसाइज करता हूं, शाम को साइकिलिंग और आधा घंटा वॉक करता हूं। बस, इतना ही करता हूं। जिम में घंटों पसीना नहीं बहाता। उतना ही करता हूं, जितनी मेरी बॉडी सहन कर सके।
आपके बच्चे बड़े हो गए हैं। वे क्या कर रहे हैं?
मेरी बेटी एक कंपनी से जुड़ी है। वह कंपनी इवेंट वगैरह भी करती है, पर बिहाइंड द स्क्रीन काम करती है। मेरा लड़का इस समय करण जौहर का डीए यानी डायरेक्टर असिस्टेंट है। उसने बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर चार फिल्में- ‘बियॉन्ड द क्लाउड्स’, ‘केसरी’, ‘पंगा’, ‘बाला’ की। अब करण जौहर के साथ ‘तख्त’ कर रहा है। सबसे खुशी की बात यह है कि बच्चों ने सब कुछ अपनी मेहनत से हासिल किया है। मैंने उनके लिए कहीं पर एक लफ्ज भी नहीं बोला है।
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